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कोरोनाकाल में महाकाल के भक्त है निराश, इस सावन टूटी कांवर यात्रा की डोर

locationरायपुरPublished: Jul 12, 2020 11:00:01 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

दूसरे सोमवार को शहर के सभी छोटे और प्रमुख शिवालयों में शिव भक्त जिस शिवालय में जल चढ़ाने की छूट मिली हुई है, वहां भोलेबाबा का अभिषेक करेंगे। जहां रोक हैं, वहां भगवान का शृंगार दर्शन और परिक्रमा करके मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करेंगे। लेकिन, कांवर यात्रा के रूप में नहीं।

रायपुर. भोले बाबा की भक्ति का सबसे उत्तम सावन मास प्रारंभ होते ही कोने-कोने में बोल बम सुनाई देने लगता था। नंगे पैर, कंधे पर कांवर, जयकारे लगाते हुए कांवडिए जत्थे में निकलते थे। लेकिन, कोरोना का एेसा संकट कि शिव भक्तों के उत्साह और आस्था की डोर टूटी है। पीले वस्त्रों, प्लास्टिक के लोटों और डोरी-डंडों से शहर की दुकानें रोड के सामने तक सज जाती थीं, वैसा माहौल कहीं नहीं है। लाखेनगर से महादेवघाट रोड ही शिव भक्तों से सूनी पड़ी हुई है, जहां से महादेवघाट जाने का तांता लगता था और दुकानदारों से लेकर सेवाभारी टेंंट लगाकर नंगे पैर कांवरियों के जत्थों की सेवा में जुट जाया करते थे।

सावन मास प्रारंभ हुए एक सप्ताह बीत गया। दूसरे सोमवार को शहर के सभी छोटे और प्रमुख शिवालयों में शिव भक्त जिस शिवालय में जल चढ़ाने की छूट मिली हुई है, वहां भोलेबाबा का अभिषेक करेंगे। जहां रोक हैं, वहां भगवान का शृंगार दर्शन और परिक्रमा करके मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करेंगे। लेकिन, कांवर यात्रा के रूप में नहीं। बारी-बारी से मंदिर में प्रवेश तो बाहर खड़े श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार। क्योंकि सावन के दूसरे और तीसरे सोमवार से ही शिव भक्तों की संख्या बढ़ती है। इस बार तो दुर्लभ संयोग के साथ पांच सोमवार पड़ रहा है, जो शिव पूजन के लिए विशेष दिन माना गया है।

20 वर्षों से निकाल रहे कांवर, अब शिव झांकी

सव्र ब्राम्हण समाज की कांवर यात्रा सावन के पहले रविवार को ही एेतिहासिक बूढेश्वर महादेव मंदिर से निकलती थी। समाज के अध्यक्ष ललित मिश्रा कहते हैं २० वर्षों में पहली बार कांवर यात्रा इस बार निकाली। अभी तय भी नहीं किया है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कांवर जरूर निकालेंगे, लेकिन भगवान शिव की झांकी नहीं होगी। इसी तरह बिरंगाव से हाथी-घोड़ों के साथ शिव की बारात निकल थीं। तो शिवसैनिक तात्यापारा से त्रिशूल यात्रा।

महीनेभर में 15 से 20 लाख का होता कारोबार

लाखेनगर ढलान के पास पिछले 25 वर्षों से कांवर यात्रा की सामग्री बेचने वाले सुमित मिश्रा बताते हैं कि पूरे सावन मास में शहर में 15 से 20 लाख की सामग्री बेचने का कारोबार होता था। क्योंकि हर दिन 700 से 800 कांवर यात्रा पर निकलते ही थे। कांवर का पूरा सेट 350 रुपए में बेचते थे। इस लिहाज से महीनेभर में 40 से 50 हजार श्रद्धालु कांवर की सामग्री खरीदते थे। धार्मिक कार्यक्रमों पाबंदी के कारण इस बार सामान नहीं रखा।

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