२००५ से अब तक प्रदेश में ३५ हाथियों सहित १५० वन्य प्राणियों की मौत सिर्फ और सिर्फ करंट लगने से हुई।
प्रदेश में करंट लगने से वन्य प्राणियों को बचाने के लिए शासन-प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार जंगल में शिकारियों के बाद वन्य प्राणियों के लिए अब सबसे बड़ा खतरा करंट बनता जा रहा है। २००५ से अब तक प्रदेश में ३५ हाथियों सहित १५० वन्य प्राणियों की मौत सिर्फ और सिर्फ करंट लगने से हुई। लेकिन सरकार द्वारा करंट से बचाव के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए। इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने
बिलासपुर हाइकोर्ट में याचिका लगाई है। इसके बाद वन विभाग थोड़ी हरकत में आया है। विभाग की ओर से इस संबंध में वन मंडलाधिकारियों से जानकारी मांगी गई है जिससे हड़कंप मचा हुआ है। बताया जाता है कि वन परिक्षेत्र से होकर गुजरने वाले हाइटेंशन तार काफी नीचे लटक रहे हैं जिसके कारण हाथी और वृक्षों पर चढऩे वाले वन्य प्राणी करंट की चपेट में आ जा रहे हैं। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार २००५ से अब तक प्रदेश में ३५ हाथी, २८ बंदर, १२ भालू, सांभर, हिरण, ***** व वनभैंसा सहित १५० वन्यप्राणियों की मौत करंट लगने से हुई है। हालांकि विभाग द्वारा वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए हाइटेंशन तारों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए विद्युत मंडल को कई बार पत्र भी लिखा गया, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई। विभाग ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा १९७२ के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी, लेकिन जिम्मेदार बिजली अफसरों के कानों पर जंू तक नहीं रेंगा। वन्य प्राणियों की करंट से मौत होने का एक कारण और भी है। बताया जाता है कि जंगलों के आसपास रहने वाले ग्रामीण अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए करंट का बाड़ लगाते हैं, जिसकी चपेट में आने से भी हाथियों सहित वन्य प्राणियों की मौत हो चुकी है। कई बार बाड़ लगाने वाले ग्रामीण भी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं, लेकिन इससे बचाव के लिए शासन-प्रशासन द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है।