scriptसुरक्षित गर्भपात के लिए दी गई नए नियमों की जानकारी, अब 24 सप्ताह तक के भ्रूण के गर्भपात की है अनुमति | karyshala me kamal sradkar aur sujut kumar ne diya prishikchan | Patrika News

सुरक्षित गर्भपात के लिए दी गई नए नियमों की जानकारी, अब 24 सप्ताह तक के भ्रूण के गर्भपात की है अनुमति

locationरायपुरPublished: Aug 05, 2022 04:39:37 pm

Submitted by:

Gulal Verma

गर्भ के चिकित्सकीय समापन अधिनियम (मेडिकल टर्मीनेशन प्रेग्नेंसी एक्ट एमटीपी) 1971 में हुए संशोधनों के संबंध में शासकीय व निजी अस्पतालों के प्रशिक्षित चिकित्सकों व स्त्री रोग विशेषज्ञों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के स्थानीय सभा कक्ष में किया गया।

सुरक्षित गर्भपात के लिए दी गई नए नियमों की जानकारी, अब 24 सप्ताह तक के भ्रूण के गर्भपात की है अनुमति

सुरक्षित गर्भपात के लिए दी गई नए नियमों की जानकारी, अब 24 सप्ताह तक के भ्रूण के गर्भपात की है अनुमति

बलौदाबाजार। गर्भ के चिकित्सकीय समापन अधिनियम (मेडिकल टर्मीनेशन प्रेग्नेंसी एक्ट एमटीपी) 1971 में हुए संशोधनों के संबंध में शासकीय व निजी अस्पतालों के प्रशिक्षित चिकित्सकों व स्त्री रोग विशेषज्ञों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के स्थानीय सभा कक्ष में किया गया। प्रशिक्षण आई पास डेवेलपमेंट फाउंडेशन के स्टेट डायरेक्टर कमल सराडकर व सीनियर ऑफिसर सुजीत कुमार सिंह ने दिया। गर्भपात के संबंध में उक्त अधिनियम में हुए बदलावों की जानकारी देते हुए प्रशिक्षण कर्ताओं ने बताया कि, पुराने अधिनियम में 20 सप्ताह तक के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति थी, जिसे अब 24 सप्ताह तक कर दिया गया है। वर्तमान में 12 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात प्रशिक्षित चिकित्सक कर सकते हैं, जबकि 20 सप्ताह तक के लिए एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और 20 से 24 सप्ताह तक के लिए दो स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श की आवश्यकता होती है।
नए नियम में सबसे विशेष बात यह है कि कोई भी वयस्क महिला चाहे वह विवाहित हो अथवा अविवाहित गर्भपात का निर्णय स्वयं ले सकती हैं अर्थात गर्भपात के लिए केवल महिला की सहमति ही पर्याप्त है। अवयस्क होने की स्थिति में इसके लिए पालक की अनुमति तथा पुलिस को पूर्व से सूचना देना आवश्यक है। कुछ विशेष स्थितियां हैं जिसके तहत महिला को 24 हफ्ते तक के गर्भ के गर्भपात की अनुमति मिलती है। जैसे .लैंगिक शोषण या बलात्कार,अवयस्क की स्थिति में, गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव जैसे तलाक या विधवा हो जाना, दिव्यांग होना, मानसिक स्थिति ठीक न होना, भ्रूण में किसी प्रकार की विकृति होना, गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की बड़ी मानवीय या प्राकृतिक समस्या जिसे सरकार आपदा घोषित कर देवें।
नए संशोधन के तहत अब पूर्व में दवाओं द्वारा किए जाने वाले गर्भपात की जो समय सीमा 7 हफ्ते हुआ करती थी, अब उसे 9 हफ्ते कर दिया गया है। क्योंकि गर्भपात के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं शेड्यूल एच के तहत आती हैं। ऐसे में प्रशिक्षित चिकित्सक के प्रिसक्रिप्शन के बिना इसे बेचा भी नहीं जा सकता। वर्तमान में जिले में प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा सुरक्षित गर्भपात की सुविधा जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र. लवन, कसडोल, बिलाईगढ़, पलारी, सुहेला, भाटापारा व सिमगा में उपलब्ध है। प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम. पी. महिस्वर ने उपस्थित निजी चिकित्सकों को गर्भ के चिकित्सकीय समापन कार्य के लिए अपना पंजीयन कर उसे ई. कल्याणी पोर्टल में दर्ज करने के निर्देश दिए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो