दंतेवाड़ा में लॉटरी से जीती कांग्रेस
10 सदस्यों वाली दंतेवाड़ा जिला पंचायत में कांग्रेस उम्मीदवार तुलिका कर्मा और भाजपा उम्मीदवार मालती मुडामी को पांच-पांच वोट मिले। यहां भाजपा के पास 5 और कांग्रेस के पास 4 सदस्य थे। एक सदस्य माकपा की विमला सोरी थीं। भाजपा ने माकपा सदस्य से समर्थन के एवज में उपाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन दूसरे गुट ने विरोध किया था। इस वजह से माकपा सदस्य ने कांग्रेस को वोट किया। टाई की स्थिति में लॉटरी से हार-जीत का फैसला हुआ। इसमें कांग्रेस की तुलिका कर्मा विजयी रहीं।
कबीरधाम में कांग्रेस को उम्मीदवार नहीं मिली
14 सदस्यों वाली कबीरधाम जिला पंचायत में कांग्रेस-भाजपा के पास 7-7 सदस्य थे। अध्यक्ष पद एससी महिला के लिए आरक्षित था। कांग्रेस में इस वर्ग से उम्मीदवार ही नहीं थी। ऐसे में भाजपा की सुशीला भट्ट निर्विरोध जीत गईं। जिले में सबसे अधिक मतों से जीतीं भाजपा की भावना बोहरा क्रॉस वोटिंग की वजह से उपाध्यक्ष का चुनाव एक वोट से हार गईं। बताया जाता है कि भावना पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की रिश्तेदार हैं। अपनी जीत पक्की मानकर बोहरा समर्थकों ने रायपुर और दुर्ग से दर्जनभर धुमाल समूह मंगा रखे थे। निर्वाचन की घोषणा के बाद भावना बोहरा ने पक्षपात का आरोप लगाकर हंगामा भी किया।
राजनांदगांव में क्रॉस वोटिंग से पलटी बाजी
24 सदस्यों वाली राजनांदगांव जिला पंचायत में भाजपा के पास 12, कांग्रेस के पास 11 और एक निर्दलीय सदस्य है। यहां भाजपा ने जिला अध्यक्ष मधुसूदन यादव के नेतृत्व में रणनीति बनाई। अपने एक बागी को साधने के साथ ही कांंग्रेस का एक वोट भी हासिल कर लिया। क्रॉसवोटिंग की वजह से भाजपा की गीता साहू 14 वोट पाकर अध्यक्ष चुनी गईं। जिले के चार कांग्रेस विधायक और संगठन अध्यक्ष अलग अलग नाम पर अड़े रहे जिसके चलाते हार हुई। प्रदेश कांंग्रेस की ओर से पर्यवेक्षक बनाए गए मंत्री रविन्द्र चौबे यहां एक बार भी नहीं पहुंचे थे।
– सत्ता के दुरुपयोग का अपना ही रेकॉर्ड तोडऩे के बावजूद जिला और जनपद पंचायतों की करीब आधी सीटों पर कब्जा करने में भाजपा समर्थित उम्मीदवार सफल रहे हैं। जनाधार बुरी तरह दरकने के बावजूद कांग्रेस इकतरफा जीत का दावा कर रही है। कांग्रेस को अब वादे पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए।
धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष
– कांग्रेस को 20 जिला पंचायतों और 110 जनपद पंचायतों में जीत मिली है। यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में 14 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर है। कार्यकर्ताओं ने भी इसके लिए तगड़ी मेहनत की थी। भाजपा पर शहरी और ग्रामीण मतदाताओं ने भरोसा नहीं किया।
मोहन मरकाम, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस