संयंत्र की सुरक्षा का सवाल
रायपुरPublished: May 23, 2018 07:53:43 pm
हादसों में तीन श्रमिकों की मौत हुई और कई घायल हुए
संयंत्र की सुरक्षा का सवाल
भिलाई इस्पात संयंत्र एक बार फिर लगातार हादसों को लेकर सुर्खियों में है। हादसों में तीन श्रमिकों की मौत हुई और कई घायल हुए। संयंत्र प्रबंधन सवालों के घेरे में है, और सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा का है। लौह अयस्क को हॉट मेटल में बदलना और फिर उससे रेलपांत या अन्य उत्पाद बनाने की जटिल प्रक्रिया के बीच श्रमिकों की सुरक्षा जरूरी है। वैसे भी कोक ओवन व ब्लास्ट फर्नेस में अत्यधिक तापमान और संयंत्र के पाइपों से गुजरती जहरीली गैस के बीच काम करना बेहद खतरनाक है।
नियमित कर्मियों की घटती संख्या के बीच ठेका श्रमिकों से ही अमूमन काम लेने का प्रचलन बढ़ा है। ठेका श्रमिक की सुरक्षा की पहली जिम्मेदारी ठेका एजेंसी पर डाल दी जाती है। हादसों के बाद प्र्रबंधन का प्रयास इसे सामान्य घटना बताने की होती है और श्रमिक यूनियन इसमें लापरवाही खोजने निकल पड़ती हैं। पहली बार ऐसा देखने में आया कि संयंत्र प्रबंधन ने घटनाओं को गंभीरता से लेकर त्वरित कार्रवाई की। अपने दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया। यह एक घटना पर प्रबंधन की सख्ती थी। तब भी सुरक्षा का सवाल कायम है, क्योंकि सब जानते हैं सिर्फ इस कार्रवाई से खतरा नहीं टलेगा। संयंत्र में 46 फैक्ट्री हैं, उनमें से 27 में कर्मियों की संख्या के लिहाज से सुरक्षा समिति का गठन होना है। यूनियनों का आरोप है कि प्रबंधन ने सुरक्षा समिति में भी मनमानी की है, जबकि प्रबंधन इसे नकारने में लगा है।
सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि यह खींचतान बंद हो और प्रबंधन व ट्रेड यूनियन एक मंच पर आकर संयंत्र को सुरक्षित बनाने पर ठोस कदम उठाएं। करीब साठ साल पहले भारत-रूस मैत्री से स्थापित इस संयंत्र को उसकी उम्र के हिसाब से ज्यादा देखभाल की जरूरत है। विस्तार परियोजना और वर्तमान परिदृश्य में सुरक्षा की अनदेखी स्वभाविक रूप से संयंत्र के उत्पादन को प्रभावित करेगी। सेल के विजन 2025 के निर्धारित लक्ष्य 50 मिलियन टन उत्पादन के लिए उसका भरोसा भिलाई बिरादरी पर है। सेल की एकमात्र लाभकारी इकाई बीएसपी को उत्पादन के शीर्ष पर बनाए रखने के लिए सुरक्षा की अनदेखी नहीं चलेगी।