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खेलों के बारे में सोचिए

locationरायपुरPublished: Sep 07, 2018 07:36:24 pm

Submitted by:

Gulal Verma

एशियाई खेलों में छत्तीसगढ़ के किसी खिलाड़ी ने एक भी पदक नहीं जीता

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खेलों के बारे में सोचिए

हाल ही में संपन्न हुए एशियाई खेलों में छत्तीसगढ़ भी गिनी-चुनी राज्यों में शामिल है, जिनके किसी भी खिलाड़ी ने इनमें एक भी पदक नहीं जीता है। यह ध्यान देने लायक बात है कि 1982 में जो एशियाड हुआ था, उसमें भी छत्तीसगढ़ क्षेत्र के किसी भी खिलाड़ी ने पदक नहीं जीता था। पदक जीतने के मामले में पहले नंबर पर हरियाणा, दूसरे पर पंजाब और तीसरे पर तमिलनाडु है। हम छत्तीसगढ़ के लोग खेलों में बहुत पीछे हैं। जकार्ता में हुए एशियाई खेलों से 130 भारतीय खिलाड़ी पदक लेकर लौटे हैं, लेकिन इनमें से कोई भी छत्तीसगढिय़ा नहीं है। क्या हमें गहराई से खेलों के दुरावस्था पर विचार नहीं करना चाहिए? वो क्या मूलभूत कारण है जो हमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छे खेल प्रदर्शन से रोकते हैं।
खेलों में छत्तीसगढ़ के पिछडऩे के तीन-चार कारण हैं। पहला कारण खेलों के प्रति समर्पण का अभाव। खेलों के प्रति सहज और सम्मानजनक मानसिकता हमारी अभी नहीं बन पाई है। हम अभी भी सोचते हैं कि खेलना-कूदना बहुत अच्छी बात नहीं है। केवल लोगों में भी नहीं, बल्कि खेल संस्थानों में भी समर्पण का अभाव हमें खेल विकास से निरंतर रोक रहा है। दूसरा बड़ा कारण छत्तीसगढ़ में खेल मैदानों की कमी है। यह साबित करने के लिए रायपुर के बाहर जाने की भी जरूरत नहीं है। रायपुर शहर में किस तरह से खेल मैदानों को खत्म किया गया है, यह किसी से छिपी हुई बात नहीं है। क्रिकेट के लिए जो स्टेडियम है वो क्रिकेट के लिए तरसता है, हॉकी के लिए जो स्टेडियम है वह हॉकी के लिए तरसता है। अपर्याप्त खेल सुविधाएं खेल और खिलाडिय़ों दोनों को खूब मुंह चिढ़ाती है। जब रायपुर में ही खिलाड़ी तैयार करने का यथोचित ढांचा काम नहीं कर रहा है तो राज्य के दूसरी जगहों से हम क्या उम्मीद करें। तीसरा कारण छत्तीसगढ़ में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं है जिसे आदर्श या ब्रांड का दर्जा दिया जा सके। राज्य में कोई एक खिलाड़ी नाम कमा लेता है तो वह तमाम दूसरे लोगों को प्रेरित करता है। दूसरी ओर किसी भी ब्रांड खिलाड़ी को कोई खेल अकादमी खोलने के लिए सरकार ने आमंत्रित नहीं किया है। चौथा कारण बच्चों और युवाओं को खेल के लिए प्रेरित करने का इंतजाम भी नहीं के बराबर है। ज्यादातर स्कूलों में खेल मैदान तक नहीं है। बच्चों को तमाम तरह की नशाखोरी से बचाकर खेलों की तरफ मोडऩे का कोई प्रयास नहीं है। जब लोगों को सरकार प्रेरित नहीं करती, स्कूल व अभिभावक प्रेरित नहीं करते तो फिर छत्तीसगढ़ में कैसे ऐसे खिलाड़ी तैयार होंगे जो अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने का माद्दा रखते हों।
सरकार को एशियाड खेलों की रोशनी में पदक तालिका से सबक लेते हुए आगे काम करना चाहिए। चुनाव आने वाले हैं। लोगों को यह भी देखना चाहिए कि क्या छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी है जो खेलों के विकास का वादा कर रही है।

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