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छत्तीसगढ़ी म उपन्यास के धारा  सरलग चलत हे

locationरायपुरPublished: Jul 10, 2023 03:50:35 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बड़े महराज के निसुवारथ, निस्कलुस के आड़ म उपन्यासकार गांव-गंवई के गोठ बगरावत करमयोग के ही उपदेस देय हावे। नारी अस्मिता के बात करत अउ नव छत्तीसगढ़ के माडल असन कथानक ले ‘माटी के मितान’ उपन्यास ह सिरझे हे।

छत्तीसगढ़ी म उपन्यास के धारा  सरलग चलत हे
छत्तीसगढ़ी म उपन्यास के धारा  सरलग चलत हे
छत्तीसगढ़ राज्य के छवि बाहर म एकठन आदिवासी राज्य के रूप म बन गे हे । छत्तीसगढ़ के रक्सहूं अउ भंडार भाग ह वन संपदामन ल भरे अउ आदिवासी संस्करीति हे। मैदानी छत्तीसगढ़ ह उत्ती म रायगढ़ ल लेके बुड़ती म डोंगरगढ़ तक बगरे हे। ए छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, रीति-रिवाज, परंपरा अउ संस्करीति ह भारतभर के जउन परान हे वोकर ले ही सिरझें हें । ए संस्करीति, रीति-रिवाज, परंपरामन एकदम अलग नइए, बाकी भारत ले मिलत जुलत हे। हर जुग, हर काल, हर समे म छत्तीसगढ़ ह रास्टरीय चेतना अउ देस के मुख्यधारा ले बहुत गहराई ले जुड़े हावे।
बछर 1857 के हमर देस के पहिली स्वतंत्रता संग्राम के गूंज ह हमरो ए जगा म गुंजत रहिस। ‘सोनाखान के बघवा’ सहीद वीर नारायन सिंह और तत्कालीन संबलपुर स्टेट के राजा सुरेंद्र साय के अंगरेजी हुकूमत के खिलाफ बिदरोह, संघर्स अउ सहादत ह काकरो से छिपे नइये। अईसन हमर सांस्करीतिक चेतना ह बछ 1908 म माधवराव सप्रेजी के द्वारा ‘केसरी’ा् के परकासन, 1920 म जूझे कंडेल नहर सत्याग्रह, 1922 के मॉडमसिल्ली के जंगल सत्याग्रह, 1920 के राजनांदगांव कपड़ा मिल मजदूरमन के हड़ताल, पंडित सुंदरलाल सरमा के अछूतोद्धार, बस्तर के बिदरोह ए सब रूप म हमर आग आथें।
पांडे बंशीधर सरमाजी ह बछर 1926 म छत्तीसगढ़ी के पहिली उपन्यास ‘हीरू के कहिनी’ लिखिन। राजा के ए कथन कि ‘एक बछर के भीतर म मंय पूर्न स्वराज्य परदान करके हरसित होहूं’ ऐहा रास्टरय जागरन के संखनाद आय। सिक्छा के जरूरत, मनखे के स्वाधीनता, समाज के पुनरनिरमान के संकल्प, ए सबमन छोटे कलेवर वाले ए महान उपन्यास म गुंथाय हें। एक अउ बात हे ए छत्तीसगढ़ी के उपन्यास यातरा ह भले ही रुक- रुक के चले हे, फेर सदानीरा महानदी असन अबाध गति ले आज तक बोहावत हे। अब तक परकासित कुछ उपन्यासमन के परिचय अइसन हे।
हीरू के कहिनी- 1926 पांडेय बंशीधर सरमा। दियना के अंजोर -1964 सिवसंकर सुुक्ल, मोंगरा -1964 सिवसंकर सुुक्ल, चंदा अमरित बरसाइस- 1965 लखन लाल गुप्त, फुटहा करम -1971 ठाकुर हृदय सिंह चौहान, कुल के मरजाद- 1980 केयूर भूसन, छेरछेरा- 1983 पं. किरिस्न कुमार सरमा, उढरिया- 1999 डॉ. जे.आर. सोनी, कहां बिलागे मोर धान के कटोरा- 2000 केयूर भूसन, दिन बहुरिस- 2001 असोक सिंह ठाकुर, आवा- 2002 डॉ. परदेसी राम वरमा।
लोक लाज- 2002 केयूर भूसन, कका के घर- 2003 रामनाथ साहू, चन्द्रकला - 2005 डॉ. जे. आर.सोनी, भाग जबर करनी मा दिखाये- 2005 संतोस कुमार चौबे, माटी के मितान - 2006 सरला सरमा, बनके चंदैनी -2007 सुधा वरमा, भुइंया- 2009 रामनाथ साहू, समे के बलिहारी -2012 केयूर भूसन, मोर गांव -2010 जनारदन पांडेय, रजनीगंधा -2010 डॉ. बलदाऊ परसाद पांडेय पावन, विक्रम कोट के तिलिस्म - 2010- डॉ. बलदाऊ परसाद पांडेय पावन, तुंहर जाए ले गियां- 2012 कामेस्वर पांडेय, जुराव- 2014 कामेस्वर पांडेय, करौंदा-2015 परमानंद वरमा, पुरखा के भुइंया -2014 डॉ. मनी महेस्वर ध्येय, डिंगई- 2015 लोक बाबू, केरवंछ -2013- मुकुन्द कौसल।
माटी के बरतन- 2017 रामनाथ साहू, जानकी- 2019 रूरामनाथ साहू, चंदा- 2018 डॉ. दीनदयाल साहू, पखरा ले उठे आगी- 2020 रूरामनाथ साहू, बहु हाथ के पानी- 2020 दुरगा परसाद पारकर, सोनकमल- 2022 रामनाथ साहू।
अतकामन के छोड़ ए तरी लिखाय उपन्यासमन के घलो नाव आथे। भूलन कांदा-संजीव बख्सी, कौशल्या- डॉ. गीतेसअमरोहित, केंवट कुंदरा- दुरगा परसाद पारकर, पठौनी- ठाकुर बलदेव सिंह चौहान, हाथ भर चूरी- ठाकुर बलदेव सिंह चौहान, बीता भर पेट- ठाकुर बलदेव सिंह चौहान, सुहागी- सिव संकर सुक्ल, परबतिया- हेमनाथ यदु, चंदा चंदैनी - हेमनाथ यदु, मानवता के कछेरी मा- ठाकुर बलदेव सिंह चौहान, कुल के अंजोर असोक सेमसन, इन्दरावती के बेटी - सुधा वरमा, बनपांखी -सकुन्तला तरार, बडक़ा दाई- डॉ. रामनिवास साहू, मोर दुलरुवा- डॉ. रामनिवास साहू आदि।
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