स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर सुपेबेड़ा के किडनी प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और एम्स रायपुर द्वारा पेरेटोनियल डायलिसिस के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसके तहत डायलिसिस के लिए एम्स द्वारा मरीज और उनके परिजनों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। देवभोग स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टॉफ को भी किडनी रोग के इलाज के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। डायलिसिस के लिए जरूरी फ्लूइड की आपूर्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा की जा रही है। मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए २ करोड़ 40 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। इसके अंतर्गत वहां 100 मरीजों के डायलिसिस का प्रबंध किया जाएगा। घर में किए जाने वाले पेरेटोनियल डायलिसिस के दौरान किसी तरह की समस्या आने पर मरीज को तुरंत उपचार के लिए देवभोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया जा सकता है। गंभीर मरीजों को वहां से रायपुर भी रेफर किया जाएगा।
क्या होता है पेरिटोनियल डायलिसिस
पेरिटोनियल डायलिसिस में शरीर से अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पादों और तरल पदार्थ को हटाने के लिए एक विशेष प्लास्टिक नली के माध्यम से रोगी के पेट की गुहा में तरल पदार्थ रखा जाता है। यह फिल्टर के रूप में काम करने के लिए शरीर के ऊतकों का उपयोग करता है। मरीज को एक बार में 45-45 मिनट के ३ डायलिसिस के लिए डायलिसिस फ्लूइड 2.5 प्रतिशत या 1.5 प्रतिशत, एक दिन में ४ पीस के हिसाब से मिनीकैप, ब्लू क्लैम्प, एक ड्रेन बेग, हैंड सेनिटाइजर, एक बॉक्स, कॉटन, गॉज थान, ड्रेसिंग ऑइनमेंट, पेपर टेप, स्टेराइल ग्लब्स और 5 प्रतिशत बिटाडिन सॉल्यूशन की जरुरत होती है।
पेरिटोनियल डायलिसिस में शरीर से अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पादों और तरल पदार्थ को हटाने के लिए एक विशेष प्लास्टिक नली के माध्यम से रोगी के पेट की गुहा में तरल पदार्थ रखा जाता है। यह फिल्टर के रूप में काम करने के लिए शरीर के ऊतकों का उपयोग करता है। मरीज को एक बार में 45-45 मिनट के ३ डायलिसिस के लिए डायलिसिस फ्लूइड 2.5 प्रतिशत या 1.5 प्रतिशत, एक दिन में ४ पीस के हिसाब से मिनीकैप, ब्लू क्लैम्प, एक ड्रेन बेग, हैंड सेनिटाइजर, एक बॉक्स, कॉटन, गॉज थान, ड्रेसिंग ऑइनमेंट, पेपर टेप, स्टेराइल ग्लब्स और 5 प्रतिशत बिटाडिन सॉल्यूशन की जरुरत होती है।