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किसानमन के दुरदसा बर जिम्मेदार कोन हे?

locationरायपुरPublished: Dec 10, 2018 06:24:30 pm

Submitted by:

Gulal Verma

अन्नदाता के पीरा

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किसानमन के दुरदसा बर जिम्मेदार कोन हे?

छ त्तीसगढ़ ल धान के कटोरा अउ किसानमन के राज कहे जाथे। कोनो राज के बिकास म सबलेे जादा योगदान किसान के होथे। छत्तीसगढ़ म दूठन नारा पहिली ले चलत आत हे – Óकिसान बना किसानी कराÓ अउ Óखेती अपन सेतीÓ। एक जमाना रिहिस जब मनखे नौकरी करई परसंद नइ करत रिहिस। सियानमन कहंय के नौकरी करबे त नव के रहे बर परही। ऐकर ले बढिय़ा खेती-किसानी करव अउ खा-पी के घर म गोढ़ तान के सूतव। आज माहौल बदल गे हे अउ मनखे नौकरी खातिर भागत हे। खेती-किसानी करे ल छोड़त हे।
किसान ह भुइंया के भगवान होथे। बिन किसान के धरती घलो के मया करइया कोनो नइ रहय। जइसे भगवान अपन भगत के छन-छन रक्छा करथे वोइसने किसान अपन भुइंया के रक्छा करथे। किसान अइसन भगवान ए जेन सेवा अउ जमो जीव के पोसन करथे। किसानी के महत्व ल समझाय खातिर रिगवेद के एकठन संदेस हे – सबले पहिली उत्तम कारज खेती किसानी करई। वोकर बाद दूसर म पसुपालन। फेर तीसर म बेपार करई अउ चउथा म नौकरी करई ए। खेती किसानी जिनगी बर बरदान ए जेला आज के मनखे सराफ समझे बर धर लेय हे।
नांगर अउ कनिहा के टूटत ले रामलाल खेती-किसानी करय। फेर, ‘करम के भूतÓ अइसे पीछू परे रहय के, घर के खरचा-पानी बर करजा-बोड़ी करे बर परय। भगवान से बिनती बिनोवय के कभु ककरो तीर उधारी-बाड़ही मांगे, करजा-बोड़ी करे बर झन परय। फेर, हाथ पसारे बर पर जाय। वोहा कभु नइ जान सकिस के बगैर ‘लागाÓ के रहइया मनखे के जिनगी कतेक सुख म रहिथे।
पाछू बछर पानी नइ बरसिस त फसल चौपट होगे। घर-परवार चलाय बर जांगर के टूटत ले काम करके चार पइसा कमाय। तभो ले पूरति नइ होवय। खेती-किसानी कइसे होही तेकर फिकर म दिन-रात रामलाल ह बुड़े रहय। वोला एके उपाज सुझिस। बइंक ले करजा लेके खेती-किसानी करिस। खाय-पीये बरोबर जइसे फसल होइस। तीज-तिहार, लइकामन के पढ़ई-लिखई बर घलो करजा लेय रहय। अइसन म बइंक के करजा कइसे छुटाही, इही सोच के रामलाल कीरा परे गहूं कस धीरे-धीरे घुनाय लगिस। बीमार पर गे। एक दिन जहर पीके सरग सिधार गे। आज कतकोन अन्नदाता किसानमन के हाल रामलाल कस हे।
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