फसलों को कीट-व्याधियों से बचाव के लिए किसानों को समसामयिक सलाह
रायपुरPublished: Oct 09, 2022 06:10:48 pm
गरियाबंद जिले में खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान है। इस वर्ष अच्छी वर्षा होने के फलस्वरू किसानों द्वारा धान फसल में बम्पर उत्पादन की उम्मीद है। परंतु, मानसून के विदाई के साथ हो रही हल्की वर्षा के कारण वातावरण में अतिरिक्त आद्र्रता होने के कारण धान फसलों में कीट बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। जिले के सभी क्षेत्रों में अगेती किस्म एमटीयू 1010, महामाया आदि में बाली आ चुकी है तथा पछेती किस्म स्वर्णा आदि में बाली निकलना शुरू हो गया है।


फसलों को कीट-व्याधियों से बचाव के लिए किसानों को समसामयिक सलाह
गरियाबंद। जिले में खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान है। इस वर्ष अच्छी वर्षा होने के फलस्वरू किसानों द्वारा धान फसल में बम्पर उत्पादन की उम्मीद है। परंतु, मानसून के विदाई के साथ हो रही हल्की वर्षा के कारण वातावरण में अतिरिक्त आद्र्रता होने के कारण धान फसलों में कीट बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। जिले के सभी क्षेत्रों में अगेती किस्म एमटीयू 1010, महामाया आदि में बाली आ चुकी है तथा पछेती किस्म स्वर्णा आदि में बाली निकलना शुरू हो गया है। बाली निकलने के साथ-साथ धान फसल पर कीट रोग के संकट के बादल मंडरा सकते है।
पेनिकल माइट हो रही खतरनाक साबित
बाली निकलने के उपरांत लगभग सभी धान फसल के किस्मों में वातावरण के अतिरिक्त आद्र्रता होने के कारण खुली आंखों से नजर नहीं आने वाले दुश्मन (पेनिकल माइट) पिछले 4-5 सालों से घातक साबित हो रही है। इस कीट के प्रकोप होने पर बाली बदरंग होने के साथ-साथ दाना बदरा हो जाता है। इसका मुख्य कारण धान की मकड़ी (पेनिकल माइट) व शीथ ब्लाइट है। जिससे धान की फसल में 6.7 क्विंटल तक उत्पादन में कमी आ सकती है। इसके लक्षण दिखने के बाद इसे बचाया तो नहीं जा सकता, किन्तु समय रहते इसकी पहचान कर फसलों को उपचारित कर होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
हेक्जीथायोजॉक्स का करें छिडक़ांव
किसान धान के फसलों में पेनिकल माइट के नियंत्रण के लिए हेक्जीथायोजॉक्स 120-150 मिली प्रति एकड़ अथवा इटाक्सॅाजोल 120-150 मिली प्रति एकड़ मकड़ीनाशक दवाई के साथ प्रोपीकोनाजोल 350-400 मिली प्रति एकड़ फफूंदनाशक का छिडक़ाव कर सकते हैं। साथ ही धान फसलों में तनाछेदक, भूरा माहू, कटुवा, शीथब्लाइट, ब्लास्ट, शीथ-रॉट जैसे कई कीट-बीमारियों की समस्या हो सकती है। जिसकी सही समय पर उपचार नहीं होने पर धान की फसल पूर्ण रूप से नष्ट हो सकती है।
अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश
जिले के उप संचालक कृषि संदीप कुमार भोई द्वारा जिला स्तरीय पर नियंत्रण कक्ष बनाया गया है वब्लॉक स्तर पर दल गठन किया गया है। साथ ही सभी मैदानी अधिकारियों को अलर्ट रहने तथा अपने क्षेत्रों का सतत् भ्रमण करने के साथ-साथ कृषकों से संपर्क करने निर्देशित किया गया है। जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष में महेश कुमार पैंकरा सहायक संचालक कृषि मो.नं.-7987058258, जसपाल साहू मो.न..9131198044, ब्लॉक स्तर पर कोपेश्वर गजेन्द्र, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी गरियाबंद ममो.न.7000860213, बी. आर. साहू वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी फिंगेश्वर मो.न..7999707049, मेम सिंह कवंरवरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी छुरा मो.न.9340338356, भावेश कुमार शांडिल्य वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मैनपुर मो.न..7974163020, जे. एन. नागए वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी देवभोग मो.न.7974325754 तथा अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर उचित उपचार के लिए किसान तकनीकी मार्गदर्शन ले सकते हैं।