मुंह के छाले
यदि कोई वयस्क व्यक्ति बच्चे को किस करे तो इस वजह से बच्चे के मुंह में छाले हो सकते हैं। यह हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस टाइप 1 यानी एचएसवी 1 से होता है और इसमें पहले होठों या मुंह के आसपास छोटा फफोला होता है। हालांकि, यह चेहरे के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है जैसे कि नाक, गाल और ठोड़ी।
फूड एलर्जी
लिपस्टिक में ग्लूटेन होता है जो कि सीलिएक डिजीज से ग्रस्त बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप ग्लूटेन युक्त लिपस्टिक लगाने के बाद बच्चे को किस करती हैं तो उससे शिशु को दिक्कत हो सकती है। वहीं, अगर किसी फूड के सीलिएक डिजीजटुकड़े मुंह में फंसे हों और बच्चे को उस फूड से एलर्जी हो तो किस करने पर शिशु को फूड एलर्जी हो सकती है।
किसिंग डिजीज
मोनोन्यूकिलिओसिस को किसिंग डिजीज भी कहते हें। इसमें किस के जरिए सलाइवा बच्चे के मुंह में प्रवेश करता है। इसकी वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन और बहती नाक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी वजह से कुछ दुर्लभ मामलों में सांस से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।
कैविटी
मुंह साफ न रखने से दांतों में कैविटी हो सकती है। बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि किस करने से बच्चों के दांतों में कैविटी हो सकती है। सलाइवा में मौजूद स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटने नाक बैक्टीरिया शिशु में चला जाता है जिससे बच्चों के दांतों में कैविटी पैदा हो सकती है।
इम्यूनिटी होती है कमजोर
जन्म के बाद शुरुआती महीनों में बच्चों के बीमार पडऩे का खतरा अधिक रहता है, क्योंकि इस समय इनका गट बैक्टीरिया विकसित हो रहा होता है। इस वजह से हमेशा हाथ और मुंह धोने के बाद ही बच्चे के पास जाना चाहिए। आपके किस करने पर आपके द्वारा बच्चे में कीटाणु जा सकते हैं जो उसके इम्यून सिस्टम को कमजोर बना सकते हैं।
शिशु की आंखों में घर पर बना काजल ही लगाएं, जानें घर पर काजल बनाने का तरीका
एफडीए के अनुसार, कमर्शियल काजल शिशु के लिए सुरक्षित नहीं होता है क्योंकि इसमें सीसा मिला होता है। सीसा गैलेना पत्थर से आता है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि बाजार में मिलने वाले काजल में उच्च मात्रा में सीसा होता है और इसमें गैलेना, मिनिअम, एमॉरुस, कार्बन, मैगनेटाइट और जिंकाइट जैसे रसायन भी होते हैं। ये रसायन शिशु की आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कहा जाता है कि काजल लगाने से शिशु की आंखों को आराम मिलता है। हालांकि, इसकी वजह से जलन भी हो सकती है। यही वजह है कि पीडियाट्रिशियन (बाल रोग चिकित्सक) काजल का इस्तेमाल करने से मना करते हैं। ऐसा भी मानना है कि काजल लगाने से कंजक्टिवाइटिस जैसी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है जबकि सच तो यह है कि काजल की वजह से ऐसी बीमारियां हो भी सकती हैं।घर पर काजल बनाने का तरीका इस प्रकार है
दोनों कटोरियों को एक-दूसरे के सहारे टेढ़ा करके जमीन पर रखें। इनके बीच में थोड़ी- सी दूरी होनी चाहिए।अब एक समतल प्लेट को उल्टा करके कटोरियों के ऊपर रखें। दीये में अरंडी का तेल डालकर बाती लगाएं।अब इसे दोनों कटोरियों के नीचे जलाकर रखें। दीये की बाती प्लेट को छूनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो छोटी कटोरियों का इस्तेमाल करें।20 मिनट तक इंतजार करें और फिर प्लेट को धीरे से उठाएं।आपको प्लेट के ऊपर कालिख सी नजर आएगी जो कि काजल होगा। इसे चाकू की मदद से हटाकर डिब्बी में रख लें और घी की कुछ बूंदें डालें। काजल की डिब्बी को किसी सूखी या गर्म जगह पर रखें।
शिशु को किस करते समय बरतें सावधानियां
मुंह की साफ सफाई पर ध्यान दें और बच्चे की भी ओरल हाईजीन का ध्यान रखें। शिशु को पकडऩे से पहले हाथों को जरूर धोएं। शिशु को रोज नहलाएं और उसका मुंह एवं चेहरा बेबी वाइप्स से साफ करें। घर में मौजूद कई चीजों पर कीटाणु रहते हैं जिन्हें अक्सर बच्चे मुंह में ले लेते हैं। इस वजह से रिमोट, मोबाइल फोन और हैंडबैग आदि को साफ रखें। जिन लोगों को कोई इंफेक्शन जैसे कि खांसी, जुकाम या चिकन पॉक्स हो रहा हो, उनसे बच्चों को दूर रखें।