रायपुर

छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा

किताब के गोठ

रायपुरMay 29, 2018 / 06:21 pm

Gulal Verma

छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा

डॉ. परदेसीराम वरमा के लिखे किताब ‘छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ाÓ मोला पढ़े बर मिलिस। लेखन सैली अतका बढिय़ा हाबे कि पुस्तक ल बिना खतम करे छोड़े के मन नइ लागय। ए किताब म आसाम यात्रा के माध्यम से हमन ल जाने बर मिलिस कि छत्तीसगढिय़ामन घलो जम्मो देसभर म बगरे हें। जउनमन अपन छत्तीसगढिय़ा संस्करीति ल जियत हें। इहां के जम्मो तीज-तिहार ल उहां छत्तीसगढ़ी परंपरा मुताबिक मनाथें।
एक संवेदनसील अउ कल्पनासील मनखे ह पचास बछर बाद सोच सकथे कि जउन फौजीमन सरलग देस सेवा खातिर अपन परान कुरबान कर देथें, वो जगा जाके आज अपन बीते दिन ल सुरता करे जाए अउ वो फौजीमन के मनोबल ल बढ़ाय जाय।
डॉ. परदेसीराम वरमा ह आसाम राइफल के सिपाही 1966 से 1969 तक रिहिस। फौज के सेनाध्यक्ष ह वोला अपन जुन्ना जगा ल देखे के सुविधा दीस। ये चिट्टी ह किताब म छपे हे। छत्तीसगढ़ साहित्य के हिसाब से वो महान जगा ए जिहां माधवराव सप्रे हिंदी के पहिली कहिनी लिखिस। पदुमलाल पुन्नलाल बख्सी, गजानंद माधव मुक्तिबोध जइसे बड़े परसिद्ध साहित्यकार अउ हबीब तनवीर, स्व. देवदास बंजारेमन इहां के माटी के खुसबू ल दूरिहा-दूरिहा म बगरइन। छत्तीसगढ़ म दाई कुंवर बाई जनम लिस। जउन ह देसभर म स्वच्छता अभियान के मिसाल बनिस। इही छत्तीसगढ़ म मिनीमाता आसाम ले आके छत्तीसगढ़ के नारीमन के मान बढ़इस। ये सब जानकारी हमन ल ‘छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ाÓ किताब म मिलथे।
ऐहा संस्मरनात्मक किताब ए। फेर, कहिनीनुमा लेखन सैली रोचक व मजा देवइया लागथे। सहयात्री मालिक एक हास्य कलाकार के रूप म चित्रित होय हाबे, त गुवाहाटी, मेघालय, नागालैंड के पराकरीतिक सुन्दरता अउ उहां के बिसेसता ह मन ल छू लेथे। सबसे बढिय़ा बात कि ए किताब म पाठकमन ल सामान्य गियान के जानकारी घलो मिलथे। जइसे – मेघालय ह बादरमन के घर कहाथे। नागालैंड ह समूल जनजातीय छेत्र आय। त्रिपुरा ह भारत के सबले छोटे दूसर राज्य हे। मेघालय के माध्यम से जाने बर मिलिस कि उहां माइलोगिनमन के महत्ता जादा हेा पुरुस ह बिहाव के बाद ससुरार म रहिथे।
किताब म छत्तीसगढ़ के झलक जगा-जगा दिखथे। लेखक ह सोचथे कि कतका बढिय़ा होतिस इहां घलो कोनो पुल के नांव कोनो साहित्यकार के नांव म होतिस। छत्तीसगढ़ के नांव दुनिय भर म अमर होतिस। ये किताब ल पढ़के मोला छत्तीसगढ़ के परसिद्ध संत पवन दीवान के कविता सुरता आ गे-
तुझमें खेले गौतम गांधी
राम कृष्ण बलराम
मेरे देश की माटी तूझके
सौ-सौ बार प्रणाम ।

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