पितृ दोष को शांत करन के उपाय तो हैं, लेकिन आस्था और आध्यात्मिक झुकाव की कमी के कारण लोग अपने साथ चल रही समस्याओं की जड़ तक ही नहीं पहुंच पाते।
1. अमावस्या को श्राद्ध
अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीडि़त है और उसे अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो उसे अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म संपन्न करना चाहिए। वे भले ही अपने जीवन में कितना ही व्यस्त क्यों ना हो, लेकिन उसे अश्विन कृष्ण अमावस्या को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
2. पीपल को जल
बृहस्पतिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और फिर सात बार उसकी परिक्रमा करने से जातक को पितृदोष से राहत मिलती है।
3. सूर्य को जल
शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार के दिन जातक को घर में पूरे विधि-विधान से सूर्य प्रतिमा स्थापित कर सूर्यदेव को प्रतिदिन तांबे के पात्र में जल लेकर, उस जल में कोई लाल फूल, रोली और चावल मिलाकर, अर्घ देना चाहिए।
4. पूर्वजों से आशीर्वाद
शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को शाम के समय पानी वाला नारियल अपने ऊपर से सात बार घुमाकर बहते जल में प्रवाहित कर दें और अपने पूर्वजों से मांफी मांगकर उनसे आशीर्वाद मांगें।
5. गाय को गुड़
अपने भोजन की थाली में से प्रतिदिन गाय और **** के लिए भोजन अवश्य निकालें और अपने कुलदेवी या देवता की
पूजा अवश्य करते रहें। रविवार के दिन विशेषतौर पर गाय को गुड़ खिलाएं और जब स्वयं घर से बाहर निकलें तो गुड़ खाकर ही निकलें। संभव हो तो घर में भागवत का पाठ करवाएं।
6. पूर्वजन्म
हिन्दू धर्म में पूर्वजन्म और कर्मों का विशेष स्थान है। मौजूदा जन्म में किए गए कर्मों का हिसाब-किताब अगले जन्म में भोगना पड़ता है इसलिए बेहतर है कि अपने मन-वचन-कर्म से किसी को भी ठेस ना पहुंचाए।