गुड़हल की चाय से शुरुआत
संजीव ने गुड़हल की चाय से रैसिपी सिखाने की शुरुआत की। उन्होंने कहा, अब आपको शक्कर या बिना शक्कर की चाय बनाने से छुटकारा मिला जाएगा। गुड़हर फूल की चाय बनाकर पिलाइए। टेंशन आपको नहीं लेना है। कोई बोले तो कहना संजीव कपूर स्पेशल चाय है। वे ही सिखाकर गए हैं। ये फूल आपको आसानी से मिल जाएगा। इसके लिए एयरपोर्ट जाने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि मुझे तो वहीं बुके में मिला। इस चाय से आपका वेट भी लॉस होगा। हाईपर टेंशन में भी कंट्रोल होगा। एसे चुटीले अंदाज में जब शेफ संजीव कपूर ने ऑडियंस को रैसिपी बताई तो मौजूद महिलाओं के चेहरे खिल गए। संजीव ने बताया, सबसे पहले पानी को गर्म कीजिए। इसमें दो गुड़हल के दो फूल डालें। इसे छान लें। अब टेस्ट के मुताबिक नींबू का रस डाल दें। कलर भी चेंज हो जाएगा। चाहें तो हनी का यूज भी कर सकते हैं। अगर इसमें आइस और हनी मिला दें तो आइस टी बन जाएगी। इस तरह कपूर ने फूल की दो रैसिपी बताई।
मैं ऐसा हलवाई जिसे अपनी मिठाई पसंद है
कपूर ने ऑडियंस से पूछा कि छत्तीसगढ़ के बारे में क्या कहा जाता है, इस पर एक महिला ने तपाक से कहा ‘छत्तीसगढि़या सबले बढि़या’। कपूर ने कहा कि बिल्कुल। अपने स्टेट के लिए तो एेसा कहना ही चााहिए। वाकई छत्तीसगढि़या सबले बढि़या। उन्होंने कहा कि मुझे भी अपनी चीजें बेहद पसंद हैं। मैं एेसा हलवाई हूं जो खुद की बनाई मिठाई पसंद करता हूं। स्टेज पर पहुंचते ही कपूर ने प्यार भरा नमस्कार कहते हुए बात शुरू की। उन्होंने कहा कि लोग हमेशा सोचते हैं कि सेलिब्रेटी हमेशा लेट आते हैं। लेकिन आपको बता दूं कि मैं यहां साढ़े ग्यारह बजे से आ गया हूं। एक सवाल के जवाब में कहा कि मेरी इन्सप्रेशन रोज बदलती है। आज की इंस्प्रेशन आप लोग हैं। आपकी एनर्जी से मुझे इंस्पे्रशन मिलेगी। अगर आपकी एनर्जी कम हो गई तो मेरी इंस्प्रेशन कम हो जाएगी। इसलिए आप अपनी एनर्जी ज्यादा रखिए।
संघर्ष को ग्लोरीफाई नहीं करता
शुरुआती तौर पर संघर्ष कैसा रहा? इस सवाल पर कपूर ने कहा, मैं संघर्ष को ग्लोरीफाई नहीं करता। जिंदगी में हर दिन संघर्ष हो सकता है। जीवन में खराब चीजों को लोग अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर कहते हैं, इसकी मौत हुई, उसका अत्याचार हुआ। कौन सा फूल खिला इसकी बातें कम होती हैं। जिंदगी में क्या अच्छा हुआ है मैं उसको याद करता हूं। मेरे कॅरियर में कभी कोई संघर्ष नहीं हुआ, जिसे लोग संघर्ष कहते हैं मैं उसे सीख कहता हूं। अगर कहीं कोई ट्रबल आई तो वह सीख थी। जिंदगी में अगर कुछ अच्छा करना है तो अच्छी चीजें याद करें, अच्छी चीजें शेयर करें। खाने-पीने में भी ही होता है। घर की महिलाएं रोज खाना बनाती हैं, एक दिन नमक कम हो जाए पुरुष मुंह बिगाड़ लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। आपके हाथों के जादू के सभी कायल हैं, आप किसके मुरीद हैं? इस पर कपूर ने कहा, जहां भी मैं जाता हूं लोकल टेस्ट को बेहतरीन मानता हूं। घरों में बनने वाली चीजें सबसे ज्यादा स्वादिष्ट होती हैं। मैं घर का खाना बनाने वालों का मुरीद रहता हूं। आज रायपुर के एेसे लोग जो घर में खाना बनाते हैं मैं उनका मुरीद हूं।
डिफाइन होनी चाहिए यहां की डिशेस
कपूर ने रायपुर के शेफ विजय को याद करते हुए कहा कि उन्होंने एक प्रोग्राम में बहुत बढि़या परफॉर्म किया था। उन्होंने खुद का रेस्टोरेंट भी डाल लिया है। छत्तीसगढ़ में काफी स्कोप है। यहां की 20 से 25 डिश हैं जिसे वल्र्ड लेवल पर डिफाइन करने की जरूरत है, क्योंकि इसका मजा मेट्रो सिटी में नहीं है। एक सवाल के जवाब में कपूर ने कहा, मदर के हाथ की पंजाबी कढ़ी, सरसो दा साग काफी पसंद है। मेरी वाइफ डोसा बहुत अच्छा बनाती है। लोग सिंगर हरिहरण का गाना सुनने जाते हैं मैं उनके यहां खाना खाने जाता हूं।
बचपन के हीरो हैं सजीव कपूर
सिटी की पल्लवी मित्रा कहती हैं कि मैं जब छोटी थी तो संजीव कपूर का टीवी शो खाना-खजाना देखकर ही खाना बनाना सीखा। जब मैंने पहली बार खाना बनाया तो उन्हीं की डिश बनाई थी। मेरे बचपन के हीरो हैं संजीव कपूर। अब मैं भी बहुत अच्छा खाना बना लेती हूं।