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शॉर्ट वीडियोस के बाद पॉडकास्टिंग बना फेमस होने का नया जरिया

locationरायपुरPublished: May 16, 2022 02:51:27 pm

Submitted by:

CG Desk

आपने रेडियो तो सुना ही होगा। ठीक रेडियो के तरह ही पॉडकास्ट भी लोगों के बीच ट्रेंड कर रहा है। जानिए कैसे अपनी आवाज़ प्रसारित कर लोग फेमस बन कमा रहे हैं घर बैठे पैसे।

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रायपुर। रविवार को वीआईपी रोड पर स्थित सोल गार्डन में रायपुर की पहली पॉडकास्टिंग कार्यशाला (वर्कशॉप) का आयोजन किया गया। इस विषय पर यह शहर की पहली कार्यशाला है। कार्यशाला में कई अनुभवी पॉडकास्टर्स ने लोगों को पॉडकास्टिंग के मायने जरिए और तरीके‌ के बारे में विस्तार से बताया। कार्यशाला का आयोजन 28 वर्षीय अनुराग मानिक ने किया था।

पॉडकास्टिंग स्पर्धा में टॉप टेन पर रह चुके हैं अनुराग
अनुराग ने पॉडकास्टिंग की शुरुआत 23 जुलाई 2020 के वर्ष में की थी और उन्हें स्पॉटिफाई इंडिया के प्रतियोगिता में 9वा रैंक भी प्राप्त है। अपने पॉडकास्ट पर वे कई सेलेब्रिटीज़ से इंटरव्यू ले चुके हैं। इस कार्यशाला का आयोजन करने का उनका एक ही लक्ष्य था कि उन्हें पॉडकास्ट शुरू करते समय जो परेशानियां आई उन परेशानियों का सामना दूसरों को न करना पड़े। उनका अपना पॉडकास्ट भारत में शीर्ष 10 में स्थान पर हैं और पड़ोसी देशों में लगातार शीर्ष 25 में हैं।

मुफ़्त में शुरू किए जा सकते हैं पॉडकास्ट
पॉडकास्ट इंटरनेट पर फीड के ज़रिए अपनी आवाज प्रसारित करने का माध्यम है। लोग पॉडकास्ट में अपने किस्से, कहानी, अनुभव तथा अन्य रुचि के विषयों पर बात कर श्रोताओं का मन जीत लेते हैं। पॉडकास्टिंग का ट्रेंड इतना चल गया है कि अब कई शैक्षिक संस्थाओं में पॉडकास्टिंग पर लोग मार्केटिंग की पीएचडी भी कर रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि आज के समय में लोगों के लिए पॉडकास्ट शुरू करने के कई मुफ़्त जरिए भी उपलब्ध हैं।

इतिहास में पहले भी देखने को मिला पॉडकास्टिंग का स्वरूप
अगर आप भी पॉडकास्टिंग के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं तो इसे समझने का सबसे बेहतर उदाहरण रेडियो है। रेडियो भी जनसंचार का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें अपनी आवाज़ प्रसारित कर लोग आम जनता का मन जीत लेते हैं। ज़माना ऐसा आ गया है कि अब लोग पॉडकास्टर बन, अपने घर से ही रेडियो होस्ट बनने का मज़ा ले रहे हैं।

 

ज़ूम कैमरे के जरिए कार्यक्रम में उपस्थिति दी ज़रीना पूनावाला ने
कार्यक्रम में विशेष अतिथि ज़रीना पूनावाला वाला थीं, जिन्होंने पॉडकास्टिंग में ऑस्ट्रेलिया से पीएचडी की डिग्री हासिल की है और उन्हें अपना खुद का पॉडकास्ट चलाते आठ साल से ज़्यादा हो चुके हैं। उन्होंने श्रोतागण से एक अच्छा पॉडकास्ट बनाने का रामबाण उपाय बताया। उनका कहना था “क्रिएटिविटी, कंसिस्टेंसी, कंटेंट” यह तीन ‘सी’ का मेल एक पॉडकास्ट को आम से खास बना देता है।

 

दर्शकों से लाइव एक्टिविटीज़ भी कराई गई
कार्यशाला में ग्राफ़िक डिज़ाइनर अभिलाष श्रीवास्तव ने पॉडकास्टिंग में विजुअल डिजाइन पर एक स्लाइड शो प्रस्तुत किया। दर्शकों के साथ जोड़े में विभिन्न एक्टिविटीज़ भी आयोजित की गईं। दर्शकों को पॉडकास्टिंग के बारे में और सीखने के लिए एक बुकलेट भी प्रदान की गई।

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