रेड और आरेंज जोन का निर्धारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा, लेकिन कंटेनमेंट जोन की सीमा का निर्धारण जिला कलेक्टरों द्वारा किया जाएगा। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि क्वारंटाइन सेंटर्स में सुरक्षा के सभी उपाय किए जाएंगे। क्वारंटाइन सेंटर्स में रुकने वालों को बरामदे में खुले में सोने नहीं दिया जाएगा। सांप और बिच्छु से बचाव के उपाय किए जाएंगे। असुरक्षित क्वारंटाइन सेंटर्स सुरक्षित भवनों और स्थानों में शिफ्ट होंगे। कमरों के अंदर कूलर और अतिरिक्त पंखों की व्यवस्था होगी। सेंटरों की निगरानी के लिए जोनल अधिकारी नियुक्ति होंगे। प्रत्येक क्वारंटाइन सेंटर के लिए प्रभारी अधिकारी रखा जाए जो वहां उपलब्ध सुविधाओं के साथ-साथ सेंटर में रहने वाले की स्वास्थ्य जांच और कोरोना टेस्ट की निगरानी रखेंगे। 14 दिनों की क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद घर जाने वाले लोगों को अगले सात से दस दिन तक अपने घरों में ही रहना होगा। सरपंच और सचिव यह व्यवस्था देखेंगे।
औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियों के लिए आने वाले यात्रियों के आने जाने के स्थान की जानकारी देने तथा आवेदन करने पर अनिवार्य क्वारंटाइन से छूट दी जा सकती है। कम समय के लिए आने वाले यात्रियों को जिनके पास वापस जाने का कंफर्म टिकट है, उन्हें भी जानेे की अनुमति दी जा सकती है। प्रदेश के एक जिले से दूसरे जिले में जाने वाले श्रमिकों को क्वारंटाइन में नही रखा जाए। पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों में जा चुके श्रमिकों को यह छूट नहीं मिलेगी।
विवाह और अंतिम संस्कार के लिए अनुमति देने के अधिकार एसडीएम और तहसीलदारों को देने का निर्णय लिया गया है। विवाह समारोह में अधिकतम 50 लोगों को और अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उनकी स्किल मैपिंग की जाएगी। इस संबंध में श्रम, कौशल विकास विभाग और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सचिव द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। श्रम विभाग द्वारा ऐसे श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, जिनका अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। श्रमिकों का स्किल डेवलपमेंट, स्थानीय उद्योगों में रोजगार और सड़क निर्माण जैसे काम दिलाने के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। श्रमिकों के बच्चों के स्कूली शिक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।