बिन शिमलामिर्च अधूरी हैं कॉन्टिनेंटल डिशेज
भारत में शिमला मिर्च आसानी से मिलती है और ज्यादा महंगी भी नहीं है, इसके बावजूद यह थोड़ी रिच मानी जाती है, क्योंकि आजकल इसका कॉन्टिनेंटल डिशेज में जमकर उपयोग हो रहा है। पिज्जा, नूडल्स, बर्गर, पनीर टिक्का, फ्रेंच ऑमलेट के अलावा नॉनवेज की कई आइटम में स्वाद लाने के लिए इसका इस्तेमाल जरूरी हो गया है। अब तो हरे रंग के अलावा लाल व पीले रंग की भी शिमला मिर्च मिलने लगी हैं और सलाद मे इसका खूब उपयोग होता है। इसके अलावा गार्निशिंग के लिए भी शिमला मिर्च का काफी उपयोग किया जाता है।
सब्जी नहीं बल्कि फल है शिमलामिर्च
भारत में अभी भी शिमला मिर्च को सब्जी माना जाता है और मसालेदार आलू से भरी शिमला मिर्च की सब्जी किसी के भी मुंह में पानी ला सकती है। लेकिन असल में यह सब्जी नहीं बल्कि फल है। ब्रिटेनिका विश्वकोष में शिमला मिर्च को फल ही कहा गया है। वनस्पति शास्त्र के अनुसार किसी पौधे के फूल में मौजूद अंडाणु से विकसित होने वाले हिस्से को फल कहा जाता है जबकि पौधे की जड़, तने और पत्तियों से विकसित होने वाले हिस्से को सब्जी कहा जाता है। चूंकि शिमला मिर्च, टमाटर आदि फूल से निकलते हैं इसलिए इन्हें फल की श्रेणी में रखा जाता है।
अंग्रेज हैं शिमलामिर्च के शिमलामिर्च कहलाने का कारण
इतिहास की किताबें और रिसर्च बताती हैं कि शिमला मिर्च की उत्पत्ति केंद्र दक्षिण अमेरिका और उपकेंद्र पेरू, इक्वाडोर व बोलिविया है। इन क्षेत्रों में शिमला मिर्च की खेती करीब 3000 सालों से की जा रही है। इस सब्जी का नाम भारत में शिमला मिर्च क्यों पड़ा, उसकी कहानी यह है कि भारत में राज करने वाले अंग्रेज गर्मियों में शिमला को राजधानी बनाते थे। वे अपने साथ इस सब्जी का बीज भी लाए और शिमला क्षेत्र के अनुकूल मौसम व पहाड़ी मिट्टी को देखते हुए उन्होंने इसे वहां बोया, यह उग गई तभी से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ गया। यह वाकई भारत के लिए ‘नई सब्जी’ है, क्योंकि देश के प्राचीन धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों में इसका वर्णन नहीं है, न ही भारत के पुराने खान-पान में इसका कहीं जिक्र है।
एंटीऑक्सीडेंट से है भरपूर और कोलेस्ट्रॉल से कोसो दूर
गुणों के मामले में शिमला का कोई जवाब नहीं है। जो सब्जी जितनी ज्यादा चमक व रंग लिए होगी, उसमें एंटीऑक्सीडेंट तो खूब होगा ही साथ ही इस तरह की सब्जियां शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बिल्कुल भी नहीं बढ़ाती हैं। फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट का कहना है शिमला मिर्च में तीखा बनाने वाला कंपाउंड कम होता है, इसलिए इसका फ्लेवर तीखी मिर्च जैसा नहीं है। इसमें रस भी है और हल्का सा मीठापन भी। इसमें न्यूट्रिन जैसे विटामिन सी, ए और बीटा कैरोटीन काफी मात्रा में होता है, लेकिन कैलोरी नहीं होती, जिससे बेड कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता। शिमला मिर्च से वजन भी कंट्रोल रहता है।
शिमलामिर्च के अधिक सेवन से हो सकती हैं ये परेशानियां
शिमलामिर्च के अधिक सेवन का नुकसान यह है कि अगर इसे ज्यादा मात्रा में खा लिया जाए तो पेट में गैस की समस्या हो सकती है। इसका ज्यादा सेवन त्वचा में खुजली व रूखापन पैदा कर सकती है। इसके अलावा इसके सेवन से कुछ देर नाक बहने व आंखों में आंसू बहने की भी समस्या हो सकती है।