लेकिन उन्हें काम के बदले में सिर्फ खाने को दिया जाता था और रात में उन्हें कमरे में बंद कर दिया जाता था। जब उन्होंने अपनी मजदूरी मांगी तो उनकी पिटाई कर दी गयी और पिटाई का ये सिलसिला हर बार मजूरी मांगने पर चलता रहता था। मजदूरों को वहां से घर जाने का रास्ता भी नहीं पता था। उन्होंने आसपास लोगों से पता पूछा और वहां से भाग निकले।
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वहां से वो जैसे-तैसे रामानुजगंज पहुंचे। युवकों को पैदल अंबिकापुर की ओर जाते देख मॉर्निंग वॉक कर रहे सुरेंद्र गुप्ता ने पूछताछ की तो युवकों ने पूरी कहानी बताई। उन्होंने बताया की 40 घंटे में 200 किलोमीटर पैदल चलकर यहां पहुंचे।बंधक युवक कोरबा के पाली के रहने वाले हैं।