भाजपा विधायक ने क्या कहा था
दरअसल, भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कुंभ को लेकर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी भी कुंभ को देवताओं ने नहीं बनाया है। उन्होंने कहा, कुंभ का उल्लेख किसी शास्त्र में नहीं है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, किसी भी श्रुति-स्मृति में कुंभ का उल्लेख दिखा दीजिए वे नाम बदल लेंगे।
उन्होंने कहा, कुंभ का इतिहास राजा विक्रमादित्य से मिलता है। विक्रमादित्य ने ही चार कुंभ शुरू कराए। ये जो देवी-देवता का नाम ले रहे हैं न, वह कभी पढ़े नहीं हैं। विक्रमादित्य उस समय के राजा थे। यदि लोकतंत्र में जीता राजा रमन सिंह, उनके सहयोगी बृजमोहन अग्रवाल हों अथवा अथवा भूपेश बघेल हों यदि उस कुंभ को मान्यता देते हैं, मेले का आयोजन करते हैं तो कुंभ है।
ऐसा देश के इतिहास में सैकड़ों बार हुआ है। चंद्राकर ने धर्म को भी सत्ता का मुखापेक्षी बताया। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर विधानसभा में राजिम कुंभ मेला का नाम बदलने के लिए लाए विधेयक पर चर्चा कर रहे थे। इस बयान को लेकर अखाड़ा परिषद भड़का हुआ है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि ऐसा कहने वाले भाजपा विधायक मूर्ख हैं। उनको ज्ञान नहीं है। कुंभ का उल्लेख शास्त्रों में कई बार हुआ है। यह किसी राजा ने शुरू नहीं किया। शास्त्रों में है कि समुंद्र मंथन से अमृत निकला। उसको लेकर जयंत कई जगह गए। प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन के स्थान पर उसकी बूंदे गिरीं और कुंभ की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि केवल चार कुंभ ही हैं किसी पांचवे कुंभ का कोई उल्लेख नहीं है। राजिम कुंभ तो सरकार की देन थी। अखाड़े वाले तो कभी वहां गए ही नहीं। उस मेले का जो पुराना नाम था वही ठीक है।
मंत्री बोले, आप नाम बदले थे हम सही कर रहे हैं
विधेयक पेश करते हुए धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, यह विधेयक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक वजहों से पेश किया गया है। शास्त्रों में केवल चार कुंभ का उल्लेख है। कोई पांचवां कुंभ नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल तीन नदियों के संगम को कुंभ नहीं कहा जा सकता। संत समाज की सलाह पर उनकी सरकार माघ पुन्नी मेले को उसका पुराना नाम दे रही है।
उन्होंने कहा, नाम वे नहीं बदल रहे हैं, स्थानीय संस्कृति की उपेक्षा करके नाम पिछली सरकार ने बदला था, उनकी सरकार बस उसे सही कर रही है। राजिम विधायक अमितेष शुक्ल ने कहा, कुंभ के नाम पर वहां कई सालों तक पाखंड होता रहा है। जकांछ-बसपा गठबंधन ने विधेयक का समर्थन किया।
8 के मुकाबले 62 मतों से पारित हुआ विधेयक
राजिम कुंभ का नाम बदलने के लिए आए विधेयक पर मौजूद सदस्यों के बीच हुए मतदान में यह विधेयक के पक्ष में 62 मत पड़े जबकि विपक्ष में केवल 8 मत। जकांछ-बसपा गठबंधन के विधायक मतदान में शामिल नहीं हुए।
भाजपा को नाम पर आपत्ति
भाजपा विधायकों को राजिम कुंभ का नाम बदलकर माघी पुन्नी मेला किए जाने पर आपत्ति थी। विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना था, यह विधेयक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करके नहीं लाया गया। उनका कहना था, विधेयक पारित कराने में इतनी हड़बड़ी क्यों है। अजय चंद्राकर ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की। वहीं शिवरतन शर्मा का कहना था, विधेयक विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई से बचने के लिए यह विधेयक लाया गया है।