मासूम बच्चे को आवारा कुत्तों ने नोचा
रायपुरPublished: Sep 20, 2018 08:11:48 pm
हिंसक हो रहे श्वान
मासूम बच्चे को आवारा कुत्तों ने नोचा
राजधानी रायपुर में मासूम बच्चे को आवारा कुत्तों द्वारा नोच-नोच कर घायल करने की घटना चिंताजनक है। प्रदेशभर में आवारा श्वानों का आतंक बहुत बढ़ गया है। आवारा श्वानों पर नियंत्रण के लिए दुर्ग नगर निगम ने प्रदेश में पहली बार एक पहल की थी। शहर के बाहर एक डॉग हाउस खोला था। शहर के आवारा श्वानों को पकड़कर डॉग हाउस में रखा गया। शहर के होटलों से बचे खाना को एकत्र कर डॉग हाउस में पहुंचाया जाने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि शहर की सड़कों पर झुंड में बैठने वाले श्वानों की संख्या कम हो गई। तीन सौ से भी अधिक श्वान डॉग हाउस में पहुंचा दिए गए। लोगों को लगा कि निगम ने एक अच्छा काम किया। लोग आवारा श्वानों के भय से मुक्त रहेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। डॉग हाउस के संचालन में कई खामियां सामने आई। वहां घेरे में रहने वाले श्वान अधिक आक्रामक होने लगे। जाली के नीचे जमीन खोदकर भागने लगे। इससे आसापास के गांव के लोग परेशान हो गए। इन आवारों श्वानों का शिकार मवेशी भी होने लगे।
असल में निगम प्रशासन ने आनन फानन में बिना विशेषज्ञों की राय के डॉग हाउस खोल दिया था। श्वानों के लिए भोजन का इंतजाम करना ही मुश्किल हो रहा था। तभी डॉग हाउस की जमीन आइआइटी के दायरे में आ गई तो निगम प्रशासन ने वह जमीन आइआआइटी के लिए दे दी। डॉग हाउस से सारे श्वान रिहा कर दिए गए। डॉग हाउस श्वानों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है पर दुर्ग निगम की तरह जल्दबाजी में कोई कदम न उठाया जाए। इसके नफा नुकसान का पहले आंकलन किया जाए। विशेषज्ञ चिकित्सकों से राय लेकर फिर कदम उठाया जाय तभी यह योजना सफल होगी।
श्वान काटने के सबसे अधिक मामले इसी साल सामने आए। बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग में सबसे अधिक लोग इसके शिकार हुए। ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग इसके शिकार हुए। भिलाई में तो एक वृद्ध महिला को अवारा श्वान और सुअरों ने नोंच कर मार डाला। निगम में खूब हल्ला मचा। सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर पिल पड़े पर हुआ कुछ नहीं। श्वानों के काटने का मामला विधानसभा में भी उठा। सरकार ने कहा श्वान काटने पर इलाज की व्यवस्था है। हर सरकारी अस्पताल में रैबिज के इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में है। बात इसके नियंत्रण की आई तो सरकार ने हाथ खड़े कर दिए। सारा ठीकरा नगरीय निकायों के मत्थे मढ़ दिया। नगरीय निकायों का यह शाश्वत रोना है कि उनके पास अमला नहीं है।
असल में इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। श्वानों को बधियाकरण हो या डॉग हाउस में रखने का हो इस पर सरकार को कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए। लोगों को आवारा श्वानों से सुरिक्षत रखने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।