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इस बैंक में है आपका एकाउंट तो लापरवाही से खो बैठेंगे अपनी पूरी जमा पूंजी, जानिए अभी

locationरायपुरPublished: Feb 22, 2018 03:01:12 pm

पत्रिका के खुलासे के बाद जब यह खबर मीडिया में आई तो बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते धारकों के होश ही उड़ गए

CG News
रायपुर . पंजाब नेशनल बैंक के बाद अब इस प्रतिष्ठित बैंक में लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। आपको बता दें कि चेकबुक की ओरिजनल कॉपी उद्योगपति के पास होने के बाद भी उसी नंबर के चेकबुक और फर्जी हस्ताक्षर से लाखों रुपए उड़ाने का मामले में अब बैंक ऑफ बड़ौदा रायपुर मुख्य शाखा कटघरे में है।
मामले के तीन साल बीतने के बाद भी राजधानी के उद्योगपति व छत्तीसगढ़ रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल को न्याय नहीं मिल पाया है। अब यह मामला बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य कार्यालय बड़ौदा में चल रहा है। पत्रिका के खुलासे के बाद जब यह खबर मीडिया में आई तो बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते धारकों के होश ही उड़ गए। आपके लिए बेहद जरूरी है यह खबर पडऩा।
यह है मामला

दरअसल यह मामला फर्जी चेकबुक और फर्जी हस्ताक्षर के जरिए धोखाधड़ी का है। 19 अगस्त 2014 को पीएनबी भंडारा शाखा में मनीष के. ठक्कर नामक व्यक्ति ने सुपर इस्पात प्रालि. रायपुर के नाम पर 7 लाख 90 हजार रुपए का चेक लगाया, जिसका नंबर 604635 नंबर था, लेकिन इस चेक की ओरिजनल कॉपी फैक्ट्री मालिक के पास ऑफिस में थी। चेक में हस्ताक्षर भी फर्जी किया गया था। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस घटना के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा रायपुर ने जांच के लिए उद्योगपति से ओरिजनल चेक मांगा, जिसे उद्योगपति ने सौंप दिया। इसके बाद भी बैंक ने गलती स्वीकार नहीं की। इस मामले में उद्योगपति आज भी लड़ाई लड़ रहे हैं।
रायपुर मुख्य शाखा बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर विवेक गुप्ता ने कहा कि मामले की जानकारी है, लेकिन उस समय के शाखा प्रबंधक का ट्रांसफर हो चुका है। यह मामला अब बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य कार्यालय बड़ौदा में चल रहा है। आवेदन के बाद हमने प्रकरण को पुन: पेश किया है।
रायपुर सुपर इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक, भंडारा में कंपनी के नाम पर जो चेक बैंक ऑफ बड़ौदा रायपुर मुख्य शाखा को क्लियर होने के लिए भेजा गया था, उस नंबर का चेक मेरे पास ऑफिस में सुरक्षित था। यह संभव ही नहीं है कि जो चेक मेरे पास खाली पड़ा है, उस नंबर के चेक से किसी अन्य व्यक्ति को 7 लाख 90 हजार रुपए पेमेंट हो जाए, लेकिन यह हुआ है। यह स्पष्ट बैकिंग फर्जीवाड़ा है। बैंक ऑफ बड़ौदा को हस्ताक्षर का मिलान करना था, वहीं फर्जी चेकबुक की भी जांच नहीं हुई।
दूसरी बार स्टॉप पेमेंट कर रोका फर्जीवाड़ा
बैंक ऑफ बड़ौदा से रुपए गायब होने के बाद मनीष के. ठक्कर नामक अज्ञात व्यक्ति ने दो दिन बाद फिर 21 अगस्त 2014 को दोबारा भंडारा पीएनबी शाखा में 9 लाख 85 हजार, 611 रुपए के चेक (604640) लगाया, लेकिन तब तक कंपनी प्रबंधन ने बैंक ऑफ बड़ौदा रायपुर मुख्य शाखा को स्टॉप पेमेंट के लिए आवेदन देकर सारा ट्रांजिक्शन रूकवा दिया था। दूसरी बार यह फर्जीवाड़ा कंपनी के सर्तकता के चलते नहीं हो पाया।
सुलगते सवाल
1. चेक बुक में सिग्नेचर का मिलान क्यों नहीं किया गया।
2. चेक की दूसरी कॉपी कहां बनी, बैंक ने जांच क्यों नहीं की।
3. चेक क्लियरिंग हाउस से फर्जी चेक को क्लियर करने की अनुमति कैसी मिली ? जबकि ओरिजनल चेक उद्योगपति के पास सुरक्षित थी।
4. पुलिस में एफआईआर होने के बाद भी मामला बंद।
5. मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा प्रबंधन ने किसी कर्मचारी-अधिकारी पर एक्शन क्यों नहीं लिया

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