पुलिस के मुताबिक घनश्याम अग्रवाल की उरला इलाके के बोरझरा में मोहन प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रोलिंग मिल है। फैक्ट्री के लिए वर्ष 2007-08 में पंडरी स्थित स्टैंट बैंक ऑफ इंडिया से 4 करोड़ 14 लाख रुपए का लोन लिया गया था। लोन नहीं चुकाने पर बैंक ने फैक्ट्री को एनपीए संपत्ति घोषित कर दिया और वर्ष 2016 में उसकी नीलामी प्रक्रिया शुरू की।
नीलामी की प्रक्रिया बैंक के तनावग्रस्त आस्ति ऋण वसूली शाखा के एजीएम विजय येचुरी और ललीत प्रधान ने की। नीलामी में बारबरिक ट्रांसमिशन एंड पॉवर रायपुर ने भाग लिया। इस कंपनी के मालिक नरेंद्र कुमार अग्रवाल, दीपक सावडि़या, पंकज गुप्ता, राकेश कुमार अग्रवाल, सन्नी अग्रवाल, संगीता अग्रवाल और चार्टड एकाउंटेड मनीष अग्रवाल थे। नीलामी के दौरान बैंक अधिकारी येचुरी और ललित प्रधान ने नीलामी के नियमों के विपरीत बारबरिक कंपनी को नीलामी में शामिल किया। नियमत: 3 सितंबर 2016 को शाम 5 बजे तक नीलामी में शामिल होने के लिए आवश्यक टोकन मनी जमा करना था, लेकिन बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से 8 व 9 सितंबर को टोकन मनी जमा किया गया। इसके बाद पूरी संपत्ति को 2 करोड़ 75 लाख रुपए में बारबरिक कंपनी को बेच दिया गया। इसकी शिकायत करते हुए फैक्ट्री मालिक घनश्याम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। इस पर कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद सिविल लाइन पुलिस ने बैंक अधिकारी येचुरी और ललित प्रधान सहित नरेंद्र अग्रवाल, दीपक, पंकज, राकेश, सन्नी, संगीता, सीए मनीष के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है।