सावन का आखिरी सोमवार होने के कारण 12 अगस्त का महत्व ऐसे भी काफी बढ़ गया है। साथ ही प्रदोष व्रत ने इस दिन को और शुभ बना दिया है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की ही पूजा की जाती है। यह पूजा शाम में की जाती है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है। इसे शुक्ल और कृष्ण दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी के दिन किया जाता है। इसलिए इसे तेरस भी कहा जाता है।
प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा शाम को ही शुरू करने की मान्यता है। यह शाम का वो समय होता है जब पूरी तरह से अंधेरा भी नहीं रहता है तो दिन की हल्की रोशनी भी बाकी रहती है। इसलिए प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ समय हमेशा शाम को ही रहता है। इस बार यानी 12 अगस्तो को प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6.59 बजे से रात 9.10 बजे के बीच का है।