
Answer :- हमारे प्रदेश के राजनेता या मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक और विपक्ष के कोई भी जनप्रतिनिधि हमारे धरोहर को लेकर कोई बात दिल्ली तक पहुंचा नहीं पाते हैं। मैंने खुद ही छह वर्ष पहले सिरपुर को विश्व धरोहर के रूप में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल करवाने की कोशिश की थी। उस समय सिरपुर को छठवें स्थान पर रखा गया था। इस मामले में राजनीतिक कोशिश करनी थी। वहां पर हमारे राजनेता पीछे हो गए थे।
Question :- क्या अभी मिल सकता हैं विश्व धरोहर का दर्जा?
Answer :- अभी भी हमारे पास समय है, हमारे मुख्यमंत्री चाहें तो सिरपुर, रीवा के अलावा केशकाल घाटी के पास पर्वत पर आठ शिवलिंग हैं, वहीं पास में नरसिंह नाथ की प्राचीन प्रतिमा है, जो पूरे भारत में अलग स्थान है। सभी के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिख सकते हैं।
Question :- खुदाई में किन-किन दिक्कतों का करना पड़ता सामना?
Answer :- खुदाई के समय स्थानीय व प्रदेश स्तर के राजनेता दिल्ली में दबाव बनाना छोड़ हम पर ही दबाव बनाते हैं, हमे कहते हैं, छोड़ो इसे, कहां लगे हो। कहकर गांव वालों को आगे कर देते हैं। यहीं की बात है। सिरपुर व रीवा में जब मैंने खुदाई शुरु की तो यहां के स्थानीय नेता व लोग मेरी जमीन है, कहकर काम बंद करने के लिए कहने लगे, पर उस समय मैंने सख्ती दिखाई तब जाकर सिरपुर में खुदाई शुरु हो सकी। रीवा में भी अब ग्रामीण समझ गए हैं कि खुदाई के बाद यह स्थल पर्यटन के लिए विख्यात होगा और उनके आय के साधन भी बढ़ेंगे।

answer :- सिरपुर, आरंग व रीवा के पास से महानदी गुजरती थी, जिसके कारण यहां पर लोगों ने निवास व व्यापार करने के लिए अपनी बस्ती बना ली थी। इस क्षेत्र में करीब 50 टीले होंगे। मैंने खुद ही इसका निरीक्षण किया है। इस क्षेत्र में रिंग वेल मिला है। उससे हमें पता चलता है कि उस काल के लोगों ने पानी संरक्षित करने के लिए कुआं खोदकर उसमें टेराकोटा से गोलाकार रिंग का निर्माण करके कुआं में डालते थे। ये रिंगवेल की प्रथा आज भी है। यहां पर और भी रिंग वेल मिल सकते हैं।
Question :- सिरपुर व रीवा में कौन से प्राचीन अवशेष मिले हैं?
Answer :- सिरपुर में पूरे दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा बौद्ध स्थल मिला है। सिरपुर में राजा महाशिवगुप्त बालार्जुन के हिंदू होने के बावजूद जैन, बौद्ध और शिव वैष्णव समुदाय के लोग संपन्नता और सद्भाव के साथ रहते थे। वही रीवा में प्री मौर्यकालीन, मौर्यकाल व पाषाण काल के चांदी, तांबे के सिक्के मृदभांड के अवशेष और हथियार भी मिले हैं। कुषाण काल की पोटरी मिली हैं, जिसे उस समय के बड़े परिवार इस्तेमाल करते थे। इसके साथ ही बहुत से बर्तनों के प्राचीनतम अवशेष भी मिले हैं। इस क्षेत्र में लगातार 10 वर्षो तक खुदाई करने की जरूरत है|
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