लोक शिक्षण संचालनालय की नई गाइडलाइन, व्याख्याता, व्याख्याता एलबी और प्रधान पाठक ही बनेंगे प्रभारी प्राचार्य
रायपुरPublished: Feb 10, 2020 07:17:30 pm
प्रदेश में प्राचार्यों के 4 हजार 489 पद स्वीकृत, 1 हजार 753 पदों पर ही प्राचार्यों की नियुक्ति हुई है। यानी प्रदेश के 2 हजार 736 स्कूलों को प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चलाया जा रहा है।
लोक शिक्षण संचालनालय की नई गाइडलाइन, व्याख्याता, व्याख्याता एलबी और प्रधान पाठक ही बनेंगे प्रभारी प्राचार्य
रायपुर. स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर नई गाइड लाइन जारी की है। इस अब किसी को भी आसानी से प्रभारी प्राचार्य नहीं बनाया जा सकेगा। लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक व्याख्याता, एलबी व्याख्याता और पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधानपाठकों को एकीकृत विद्यालय परिसर में प्राचार्य का प्रभार दिया जाएगा।
प्रदेश में प्राचार्यों को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग की स्थिति ठीक नहीं है। स्थिति यह है कि प्रदेश में प्राचार्यों के 4 हजार 489 पद स्वीकृत है। जबकि 1 हजार 753 पदों पर ही प्राचार्यों की नियुक्ति हुई है। यानी प्रदेश के 2 हजार 736 स्कूलों को प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चलाया जा रहा है। इसमें रायपुर और दुर्ग संभाग जैसे मैदानी इलाकों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। रायपुर व दुर्ग संभाग में प्राचार्यों के 1 हजार 845 पदों के विपरित केवल 743 प्राचार्यों की ही नियुक्ति है। रायपुर और दुर्ग संभाग में प्राचार्यों 1 हजार 102 पद खाली पड़े हैं। खाली पदों पर ही प्रभारी प्राचार्यों की नियुक्ति की जाती है, लेकिन इसे लेकर भी विवाद उठाता रहा है। इसे लेकर लोक शिक्षण संचालनालय ने एक निर्देश जारी करते हुए कहा है, एकीकृत विद्यालय परिसर जहां 8वीं से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित है और वहां अगर प्राचार्य के पद रिक्त हैं तो द्वितीय श्रेणी राजपत्रित पद एवं समान वेतनमान होने के कारण नियमित व्याख्याता, व्याख्याता एलबी अथवा प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला में से वरिष्ठतम को संस्था का प्रभार दिया जाए।
इस वजह से पद खाली
बताया जाता है कि स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्यों के पदों पर नियुक्ति पदोन्नति और सीधी भर्ती के तहत होती है। सीधी भर्ती की परीक्षा लोक सेवा आयोग के जरिए होती है। विभाग ने करीब 446 पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है, लेकिन विभिन्न कारणों की वजह से भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। वहीं पदोन्नति के लिए स्कूल शिक्षा विभाग में करीब 335 पदों के लिए डीपीसी हुई थी। पीएससी से डीपीसी को भी हरी झंडी मिल गई है, लेकिन नए आरक्षण नियम की वजह से अभी तक इसका आदेश जारी नहीं हो सका है।
शिक्षाकर्मियों को प्रभार देने पर होता था विवाद
बताया जाता है कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन से पहले बहुत से स्कूलों में शिक्षाकर्मियों को प्रभारी प्राचार्यों का दायित्व सौंप दिया जाता था। इसका कई शिक्षक संघों ने भी खुलकर विरोध किया था। उनका कहना था कि वरिष्ठों की अनदेखी कर शिक्षाकर्मियों को प्रभारी प्राचार्य बनाया जा रहा है। इसकी शिकायत कई दफा विभाग से भी हुई थी।
इन कामों पर असर
जानकारों का कहना है कि प्राचार्यों ही स्कूल और विभाग के बीच सेतु का काम करता है और उसे पूरा मैनेजमेंट संभालना पड़ता है। प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति होने पर संबंधित का ध्यान बच्चों को पढ़ाने में कम हो जाता है। इससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है।