कलेक्टर के आदेश का डर जब महिला फूड इंस्पेक्टर ने जाने से इंकार किया तो कंट्रोलर द्वारा कहा गया कि कलेक्टर ने जल्दी रिपोर्ट जमा करने को कहा है। इसके बाद निर्माण पूरा होने की रिपोर्ट बनवाकर पेट्रोल पंप चलाने का लाइसेंस दे दिया गया। बड़ा सवाल अब सवाल यह है कि कलेक्टर ने निर्माणाधीन पेट्रोल पंप की रिपोर्ट जमा करने को कहा या फिर कंट्रोलर को जल्दी थी। पत्रिका के पास उस दिन की फोटोग्राफ है, जिस दिन की इंस्पेक्शन रिपोर्ट इंस्पेक्टर द्वारा बनाई गई थी।
नाप-तौल विभाग का काम भी था अधूरा किसी भी पेट्रोल पंप को नाप-तौल विभाग द्वारा सील स्टेम्पिंग करने के बाद ही लाइसेंस दिया जाता है। खाद्य विभाग ने नाप-तौल विभाग की एनओसी का भी इंतजार नहीं किया। नहीं दिया जवाब खबर पर पक्ष जानने के लिए खाद्य शाखा जाकर व मोबाइल पर खाद्य नियंत्रक से वर्जन लेने की कोशिश की गई। वाटसएेप संदेश के माध्यम से भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
वर्जन मैंने निर्माणाधीन पेट्रोल पंप को न तो लाइसेंस देने और न ही रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए हैं। खाद्य नियंत्रक द्वारा यदि इंस्पेक्टर से कहा गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
डॉ. एस. भारतीदासन, कलेक्टर, रायपुर