कलेक्टर की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि हॉस्पिटल की तरफ से नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत अग्निशमन सुरक्षा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नही किया गया एंव द्वितीय तल तक भवन अनुमति के पश्चात् तृतीय तल में अस्पताल का संचालन किया जा रहा था। राज्य उपचर्यागृह तथा रोगोपचार संबंधि स्थपानएं अनुज्ञापन अधिनियम के तहत हॉस्पिटल दोषी पाया गया है।
READ MORE : गांव में अनियमितता की शिकायत कलेक्टर से की तो पंचायत ने कर दिया दिव्यांग का हुक्का पानी बंद, थाने पहुंचा पीडि़त गौरतलब है कि 17 अप्रैल को राजधानी हॉस्पिटल में आग लगने से 7 मरीजों की मौत हुई थी। एक मरीज तो जिंदा जबकि 6 का दमघुट गया था। सभी कोरोना संक्रमित मरीज थे। अग्निकांड के दौरान 30 से ज्यादा मरीज भर्ती थे। आग लगते ही मरीजों को छोड़कर कर्मचारी भाग निकले थे। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को तुरंत सील कर कोविड मरीजों के इलाज की अनुमति छीन ली थी। पुलिस ने हॉस्पिटल के संचालक डॉ.सचिन मल, डॉ.संजय जाधवानी, डॉ. विनोद लालवानी और डॉ. आनिंदो राय के खिलाफ मामला दर्ज किया था। घटना के 16 दिनों बाद पुलिस ने डॉ. सचिन मल और डॉ. अरविंदो को गिरफ्तार भी किया था।
अग्निकांड के बाद से ही अस्पताल को सील कर दिया गया था। लाइसेंस निरस्त होने से हॉस्पिटल अब दोबारा संचालित नही होगा। हालांकि, अस्पताल संचालक फिर से लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर
डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर