अधिकारियों का दावा है कि सिर्फ 10 प्रतिशत काम ही बचा हुआ है। दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक एसटीपी चालू होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहर के लोग खारुन का पानी पीते हैं। यदि गंदे नालों का पानी नदियों में मिलेगा तो पानी पीने से कई तरह की बीमारियां होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। नदी में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। यदि जल्द ही इसके कम करने को लेकर काम शुरू नहीं किया गया तो काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
महापौर ने नाव में बैठकर किया नदी का निरीक्षण
खारुन नदी में सोमवार को झाग ही झाग दिख रहा था। ऐसा लग रहा था मानों जैसे किसी ने नदी में खूब सारा सर्फ या साबुन घोल दिया हो या बर्फ के टुकड़े तैर रहे हो।
मंगलवार को महापौर एजाज ढेबर ने नगर निगम स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव के साथ महादेवघाट पहुंचकर नाव से खारून नदी के एनीकेट के चारों तरफ का निरीक्षण कर गोवर्धन नाले से खारून नदी में आ रहे गंदे पानी के झाग को देखा। महापौर ने जोन-8 के कमिश्नर अरुण ध्रुव को तत्काल झाग साफ करने निर्देशित किया। निगम जल विभाग के अधिकारियों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के शेष बचे करीब 10 प्रतिशत काम को पूरा करने के लिए भी निर्देशित किया गया है। जल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का 90 प्रतिशत निर्माण एवं विकास कार्य पूरा हो चुका है।
सफाई गैंग के 15 कर्मचारियों ने झाग किया साफ
निगम की किरकिरी होने के बाद आदेश मिलते ही खारुन नदी तट पर जोन-8 के विशेष सफाई गैंग के 15 कर्मचारी पहुंचे गए। कर्मचारियों ने काफी प्रयास के बाद खारुन नदी में बने झाग को हटाया। नदी अब पहले की तरफ साफ-सुथरी दिखने लगी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तात्कालिक व्यवस्था है लेकिन थोड़ी सी बारिश होने पर फिर से झाग बनने से इनकार नही किया जा सकता है। नदी में गंदे नालों के पानी को जब तक नही रोका जाएगा, तब तक समस्या बरकरार रहेगी।
गोवर्धन नाला अभी तक एसटीपी से जुड़ा नही है, जिसका गंदा पानी खारुन नदी में मिलता है। भाठागांव व अन्य कई क्षेत्रों के लोग बाडिय़ों में केमिकल का छिड़काव करते हैं। बारिश होने पर पानी के साथ केमिकल नदी में मिल जाता है, जिससे झाग बन जाता है। खारुन नदी में फैले झाग को पूरी तरह से हटा दिया गया है।
– अरुण धु्रव, कमिश्नर, जोन-8
नदी में बहने वाला पानी गंगरेल डैम या तांदुला बांध से भी आ रहा है, जहां एलगी की वजह से पानी हरा हो गया है। एलगी सड़कर झाग बनाती है। महादेव घाट में पहले से मौजूद मानवजानित और तैलीय गंदगी से मिलकर पानी का पृष्ठतनाव बेहद कम कर दे रहा है, जिससे हवा की मौजूदगी में झाग बन जाता है।
– डॉ. शम्स परवेज, विभागाध्यक्ष, रसायन विभाग
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर