scriptनगर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था की तरह यातायात थाने की भी बनी हालत | Like the bad traffic system of the city, the condition of the traffic | Patrika News

नगर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था की तरह यातायात थाने की भी बनी हालत

locationरायपुरPublished: Feb 19, 2020 12:43:06 am

Submitted by:

ashok trivedi

न तो यातायात थाना की तस्वीर बदली है और न ही जिला मुख्यालय का यातायात ही दुरूस्त हुआ है। यातायात थाने की हालत देखकर ही नगर की यातायात यानि ट्रैफिक सिस्टम की तस्वीर नजर आती है।

नगर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था की तरह यातायात थाने की भी बनी हालत

नगर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था की तरह यातायात थाने की भी बनी हालत

बलौदा बाजार. जिला मुख्यालय में यातायात थाना को प्रारंभ हुए भले ही तीन वर्ष से अधिक हो गए, परंतु अब तक न तो यातायात थाना की तस्वीर बदली है और न ही जिला मुख्यालय का यातायात ही दुरूस्त हुआ है। यातायात थाने की हालत देखकर ही नगर की यातायात यानि ट्रैफिक सिस्टम की तस्वीर नजर आती है। गत तीन सालों में विभागीय उच्चाधिकारियों के बंगलों के रख-रखाव तथा सौंदर्यीकरण के लिए लाखों रुपयों को व्यय करने वाले विभागीय अधिकारियों को इस ओर देखने की भी फुर्सत नहीं।
विदित हो कि नवीन जिला की स्थापना के पश्चात मुख्य मार्ग पर जिस स्थान पर पूर्व में आईटीआई संचालित होती थी। उस स्थान के भवन में ही 9 नवंबर 2016 को यातायात थाना प्रारंभ कर दिया गया है। इस भवन को अर्सा पूर्व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने कंडम घोषित कर दिया था और उपयोग के लायक नहीं बताया था। मुख्य मार्ग से बिल्कुल किनारे स्थित भवन इतना अधिक जर्जर हो चुका है कि कभी भी दुर्घटना घटित हो सकती है। बावजूद इसके इस ओर न ही विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा ध्यान दिया जा रहा है और न ही किसी प्रकार का उपाय निकाला जा रहा है। गत तीन सालों से अधिक समय से इस स्थान पर कार्य कर रहे यातायात पुलिसकर्मियों के लिए मूलभूत आवश्कताओं जैसे पेयजल, बाथरूम, शौचालय आदि की भी आज तक ढंग की व्यवस्था नहीं की गई है।
दीवारों की दरारें ऐसी की कभी भी गिर जाएं
यातायात थाना के भवन की स्थिति बाहर से देखकर ही पूरे भवन का अंदाजा लगाया जा सकता है। भवन के कमरों की दीवारों में इतनी चौड़ी दरारे हैं कि बरसात में इन दरारों से पानी कमरों में भर जाता है। कई स्थानों पर दीवार तथा लेंटर के बीच ही गेप बन गया है जिससे लेंटर के भसकने का खतरा बना हुआ है। वहीं कई कमरों की खिड़कियों के लेंटर भी क्रेक होकर एक ओर झुक गए हैं।
जर्जर दीवार के साथ ही कई स्थानों पर फ्लोरिंग भी धसक गई है। जर्जर भवन को एक नजर देखकर ही इसे उपयोग लायक न होने का माना जा सकता है। जिला निर्माण के बीते आठ सालों में विभागीय आला अधिकारियों के बंगले तथा कार्यालयों की साज सज्जा में जहां लाखों रुपयों का अनावश्यक व्यय किया गया है।
गिनती के स्टॉफ
यातायात थाना में पर्याप्त स्टाफ है और न ही आधुनिक यंत्र जिसकी वजह से यातायात कर्मचारी केवल चौक पर खड़े होकर ही अपनी ड्यूटी निभाते हैं। पुलिस लाईन में बड़ी संख्या में बल होने के बावजूद यातायात शाखा में गितनी के कर्मचारी हैं। जिसकी जानकारी देने में भी विभागीय अधिकारी आनाकानी करते हैं। एक टीआई और गिनती के स्टॉफ के भरोसे प्रारंभ किए गए यातायात थाना की हालत इतनी अधिक खराब है कि व्हीआईपी आगमन होते ही सभी गिनती के कर्मचारी व्हीआईपी ड्यूटी में तैनात कर दिए जाते हैं जिसकी वजह से नगर की ट्रैफिक व्यवस्था भगवान भरोसे रह जाती है।
&नगर में यातायात को दुरूस्त करने की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। जल्द ही थाना की व्यवस्था में सुधार लाया जाएगा। यातायात थाना में कितना स्टाफ है, यह विभागीय गोपनीय बात है, जिसकी जानकारी देने में मैं असमर्थ हूं।
जितेन्द्र कोसले,
टीआई, यातायात, बलौदा बाजार
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