लिमऊ मेछरावत हे
मोर सुवारी के बात ल सुनके तो मेहा भीतर तक ले कांप गेंव। ए महंगी के जमाना म बजट ह बिगड़े हे अउ रोज तीन ले पांच लिमऊ लाने बार परगे त खाबो काला अउ बचाबो काला। पहिली के समे म चल जात रिहिस। फेर, जब ले लिमऊ के भाव बाढ़े हे, तब ले तो सूंघ के ही काम चलाय बार परही कस लागत हे।
रायपुर
Published: April 25, 2022 04:50:59 pm
बड़ बेर होगे लैन म खड़े -खड़े। कभु बबा पुरखा म नइ सोचे रहेंव की लिमऊ जइसन नाननुन चीज बर कभु लैन म खड़े होय बर परही। फेर, सित्तो बात आय। काली आधा घंटा ले लिमऊ लेय बर अपन पारी के बाट जोहत रहेंव कि वोइसने मोर एकठन लपरहा गतर के जुन्ना जान पहचान के संगवारी मिल गिस। समारू पूछथे- कस भई तंय अपन डहर के हाट-बजार ल छोड़ के ए भीड़भाड़ म कइसे खड़े हस?
मेहा थोरकन सकुचागें। बोलेंव, का करबे भई लिमऊ महाराज मेछरावत हे आजकल। हमर डहर के हाट-बजार म ऐकर पावर अइसन बढ़े हेै कि दू रुपिया म पांचठन मिलय, फेर एदे दस रुपिया म एकेठन मिलत हे। उहू भारी मुसकुल म। कोन जनी तोर भउजी ह कहां ले सुन डारे हे कि ए बजार म बीस रुपिया के तीनठन लिमऊ मिलत हे। बस वोकरे चक्कर म एदे लैन लगाके खड़े हंव।
समारू ल बड़ मजा आ गे मोर हालत देख के। मनेमन सोचत होही कभु लैन म खड़े नइ होवइया, भीड़भाड़ ले बाच के रहइया आज बने फंसे हे भउजी के चक्कर म।
फेर सबो रंगे सियारमन सही मया करइया संगवारीमन कस थोथना ल लमा के पूछथे- अतक महंगी म लिमऊ के का जरूरत पर गे भई? आठ दस दिन म भाव गिर जही। तब मजा लेवत रहिबे लिमऊ के। समारू ल मोर टांग खिंचे के एकठन अउ मौका मिलगे। आंखी मारत पूछथे- कोनो नवा समाचार हवे का?
वोकर मजाक सुनके मनेमन कहेंव- अपन बेर आही न त तें जानबे। फेर, सबो बिचारा पतिमन सही वोला मुंहू ल ओरमा के बताएंव -बड़ दिन होगे वोला पेट के समस्या हे। को जनि वोकर कोन गुरुबबा ए, के गुरुदाई ए, तेहा वोला कहे हे कि बिहनिया सुत उठके थोरकन कुनकुनहा पानी म एकठन सौग्घे लिमऊ के रस ल निचोर के खाली पेट म पिये ले पेट के सब बीमारीमन ठीक हो जाथे। का करबे भाई छै महीना होगे वोकर लिमऊ के जुगाड़ करत। ऊपर ले वोकर योगा वाले बाबा ह समझाय हे कि लिमऊ के रस ल चेहरा म लगाय ले चेहरा हीरोइनमन कस बगबग ले चमकथे। बस, फेर का हे! ऐकर चक्कर म दूठन लिमऊ रोज लागथे।
थोरकन दिन पहिली वोकर एकझन जुन्ना सहेली घर आय रिहिस। मोर मोर सुवारी वोकर पातर देह ल देखके अकबका गे। मनेमन सोचथे पहली सूमो पहलवान सही दिखे अउ अब एकदम सिल्पा सेट्ठी जइसन दिखे लगिस। का बात ए? बात बात म पता चलिस कि रोज संझा बिहनिया लिमऊ के सेवन करथे। लिमऊ पानी पीथे। सलाद म लिमऊ,जरी वाले चना मूंग म लिमऊ।
मोर सुवारी के बात ल सुनके तो मेहा भीतर तक ले कांप गेंव। ए महंगी के जमाना म बजट ह बिगड़े हे अउ रोज तीन ले पांच लिमऊ लाने बार परगे त खाबो काला अउ बचाबो काला। बस वोकर जाय के बाद ले पांच लिमऊ रोज के खपत बढग़े। पहिली के समे म चल जात रिहिस भाई। फेर, जब ले लिमऊ के भाव बाढ़े हे, तब ले तो सूंघ के ही काम चलाय बार परही कस लागत हे। फेर, तोर भउजी ल कोन समझाय। देख न, आज एदे बिहनिया ले झोला धरा के भेज दे हे। कहिथें के, कोनो जिनिस ह महंगा हो जथे त वोकर सुवाद ह बाढ़ जाथे। सब झन आमा, कटहर के अचार बनात हे. त ऐला लिमऊ अचार बनाए के धुन सवार होगे हे।
ले चल मोरो पारी आ गे लिमऊ ले के। समारू तो चल दिस। महुं बीस रुपिया के तीन के हिसाब ले आधा झोला लिमऊ नपा लेंव। ठीक गाड़ी ल चालू करत रहेंव के, घरवाली के फोन आ गे। वोहा चेतात हे कि बने संभाल के लाबे लिमऊ ल। महुं ह लिमऊ के झोला ल गाड़ी के डिक्की म सोना- चांदी के गहना कस बने संभाल के भर लेंव। रद्दाभर लहुट -लहुट के डिक्की ल देखत रहेंव, जाने -माने एको दस लाख रुपिया भरे हंव वोमा, तइसे। ए चक्कर म भइंसा संग टकरात बांचेव।
पहिली ए रद्दामन के दुकान म लिमऊ अउ मिरचा के माला टंगाय रहय। आजकल उहू दिखई नइ देवय। मेहा सोचेंव कहीं टांगे बार डरात घलो होहीं दुकान वालामन। कहीं, इनकम टैक्स वालामन छापा झन मार दे। पहिली ऐकरमन के फेंके लिमऊ मन ले सबोझन बाच के रेंगय। गाड़ी वालेमन घलो तिरिया के चलावंय। मोर गाड़ी के चक्का म एको लिमऊ आ जतिस त गाड़ी पबरित हो जतिस। अइसने सोचत घर पहुंच गेंव। घरवाली ल लिमऊ के झोला धराय के पहिली एक पइत लिमऊ ल गिन के देख ले हंव, नइते लिमऊ के जगा मोरे चटनी बन जही।

लिमऊ मेछरावत हे
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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