पुलिस के मुताबिक पचपेढ़ीनाका स्थित सिंडीकेट बैंक में शिवाजीनगर खमतराई निवासी राजकुमार प्रसाद ने आवास लोन के लिए आवेदन किया था। राजकुमार प्रसाद ने शरतचंद्र के मकान को खरीदने के लिए लोन लिया था। बैंक ने सभी दस्तावेजों की जांच के बाद राजकुमार को २० लाख रुपए का लोन जारी किया गया। लोन की राशि शरतचंद्र को मिली। बाद में खुलासा हुआ कि शरतचंद्र के नाम से फर्जी दस्तावेज पेश किए गए थे। इसकी शिकायत बैंक प्रबंधन ने राजेंद्र नगर थाने में की। पुलिस ने जांच के बाद राजकुमार, शरतचंद्र और अन्य आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है।
पुराने गिरोह से जुड़ा है मामला
आवास लोन घोटाला रायपुर के आधा दर्जन बैंकों के अलग-अलग ब्रांचों से जुड़ा है। ओरियंटल, ओवरसीज, पंजाब नेशनल, ओरियंटल और अब सिंडीकेट बैंक का मामला भी सामने आया है। रेलवेकर्मी श्रीधर राव और सुनील सोनी ने सुनियोजित ढंग से इस घोटाले को अंजाम दिया है। पुलिस अब तक १५ लोगों को जेल भेज चुकी है। करीब ४० आवास लोन घोटाले का खुलासा हुआ है। सभी मामलों में आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए लोन स्वीकृत कराया है।
बैंक अफसरों की भूमिका पर संदेह
करोड़ों के लोन घोटाले में बैंक अधिकारियों की भूमिका शुरू से संदेहास्पद है। फर्जी दस्तावेज पेश करके करोड़ों रुपए का लोन निकाल लिया गया,लेकिन बैंक अफसरों को इसकी भनक ही नहीं लगी। जबकि हर लोन पर सर्च रिपोर्ट बनाई जाती है। सर्च रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की प्रक्रिया होती है। सर्च रिपोर्ट बनाते समय बैंक अफसरों को इसकी जानकारी कैसे नहीं हो पाई?