लॉकडाउन और कफ्र्यू में यह है अंतर
लॉकडाउन में जनता अपनी मर्ज़ी से बंदी का समर्थन करती है। अगर किसी क्षेत्र में लॉकडाउन हो जाता है तो उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है। यह एक तरह से कफ्र्यू वाली स्थिति होती है, लेकिन कानून व्यवस्था के बिगडऩे का ख़तरा नही होता सो पुलिस का भी दखल कम होता है। कफ्र्यू में सभी लोगों को कुछ समय के लिए घर से बाहर निकलकर जरूरी सामानों की खरीदारी की छूट दी जाती है। लॉकडाउन में एक घर से एक से ज्यादा लोगों के घर से बाहर निकलने की छूट नहीं मिलती। लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं पर पाबंदी नही लगती। लॉकडाउन में आवश्यक चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति होती है,अगर किसी को दवा या अनाज की जरूरत है तो बाहर जा सकता है या फिर अस्पताल और बैंक के काम के लिए अनुमति मिल सकती है।
कितना ज़रूरी है लॉकडाउन
किसी तरह के खतरे से नागरिकों और किसी इलाके को बचाने के लिए लॉकडाउन किया जाता है. किसी बड़ी युद्ध की स्थिति हो या फिर महामारी, ऐसे में ही प्रभावित क्षेत्रों को लॉकडाउन किया जाता है। कोरोना वायरस का संक्रमण पूरे विश्व के लिए एक महामारी बन चुका है। ऐसे में दुनिया के कई देशों ने लॉकडाउन के माध्यम से इसके संक्रमण को बढऩे से रोका है। वूहान में तीन माह के तीन माह के लॉकडाउन के बाद ही कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सका है। वैज्ञानिकों का मानना है कि संक्रमणकारी वायरस लॉकडाउन की स्थिति में दूसरों तक पहुंचने में असफल रहता है अगर कुछ समय तक लॉकडाउन रहे तो वायरस का अस्तित्व ख़त्म हो जाता है और क्षेत्र संक्रमण रहित हो जाता है, ऐसी स्थिति में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन या सरकारें लॉकडाउन की घोषणा कर देती है और लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी
जाती है।
किन किन देशों में लॉकडाउन
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए चीन, डेनमार्क, अल सलवाडोर, फ्रांस, आयरलैंड, इटली, न्यूजीलैंड, पोलैंड और स्पेन में लॉकडाउन जैसी स्थिति है। चूंकि चीन में ही सबसे पहले कोरोनावायरस संक्रमण का मामला सामने आया था, इसलिए सबसे पहले वहां लॉकडाउन किया गया। इटली में मामला गंभीर होने के बाद वहां के प्रधानमंत्री ने पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया। उसके बाद स्पेन और फ्रांस में भी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यही कदम उठाया गया।