रायपुर. भाजपा ने अपने दिग्गज सांसद रमेश बैस का टिकट काट दिया। रायपुर लोकसभा क्षेत्र से सात बार के सांसद बैस 1989 में पहली बार निर्वाचित होकर संसद में पहुंचे थे। वे केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे। यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के समय वे लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक भी रहे। 2014 के आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण शर्मा को हराया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 2014 में लोकसभा की 11 में से 10 सीटें जीती थीं। 2019 के चुनाव के लिए भाजपा ने मौजूदा 10 सांसदों के टिकट काट दिए और नए चेहरों पर बड़ा दांव खेला है। वर्ष 1999 से रायपुर सीट पर लगातार जीत दर्ज करा रहे बैस के स्थान पर पूर्व महापौर सुनील सोनी को टिकट दिया गया है।रमन सिंह के बेटे को भी टिकट नहींभाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा तैयार की गई सूची के अनुसार पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव संतोष पांडेय को राजनांदगांव से टिकट दिया गया है। अभिषेक सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से 2.35 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। कोरबा से बंशीलाल महतो के स्थान पर ज्योतिनंद दुबे को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बिलासपुर में लखनलाल साहू के स्थान पर अरुण साव को टिकट दिया गया है। महासमुंद के सांसद चंदूलाल साहू के स्थान पर चुन्नीलाल साहू को उम्मीदवार बनाया गया है। चंदूलाल ने 2014 के आम चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को पराजित किया था।सीएम के भतीजे को दुर्ग से टिकटभाजपा ने दुर्ग सीट से सीएम के भतीजे विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया है। पिछले आम चुनाव में इस एकमात्र सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। भाजपा की सरोज पांडेय को कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने मोदी लहर के बावजूद हराया था।[typography_font:18pt;” >जातिगत समीकरण का बड़ा असरसांसद रमेश बैस का टिकट कटने के बाद भाजपा को जातिगत समीकरण का बड़ा असर झेलना पड़ सकता है। शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कुर्मी समाज का बड़ा तबका निवास करता है। कांग्रेस ने पिछली बार सत्यनारायण शर्मा को प्रत्याशी बनाया था। इस वजह से कुर्मी समाज को भाजपा से उम्मीद थी। बैस का टिकट कटने से समाज की नाराजगी सामने आ रही है। हालांकि सुनील सोनी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं।