सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद लोकसभा में कार्यकर्ता दोगुने जोश के साथ मैदान में हैं। लेकिन रणनीतिक तौर पर कमान संभालने वाले सेनापतियों के ढिले रवैये से इनके हौसले कहीं न कहीं पस्त पड़ रहे। कुछ कार्यकर्ता दबी जुमान से चुनाव की कमान संभाल रहे पार्टी और संगठन के शीर्ष पर भी सवाल खड़ा कर दिए। इसके बावजूद भी विकास के मुद्दों से दूर देश की सुरक्षा, देशहित और देशभक्ति के इर्द गिर्द घुम रहे चुनाव में मोदी को ही सहारा मानकर पूरी निष्ठा के साथ डटे हुए हैं।
– गिने चुने पूर्व मंत्रियों ने ही संभाली कमान प्रदेश में लोकसभा को लेकर दो चरणों में चुनाव संपन्न हो चुका है। स्टार प्रचारकों की सभाओं का सिलसिला भी जारी है। लेकिन दो चार को छोड़ दे तो बाकि लालबत्ती वाले पूर्व मंत्री, संसदीय सचिव, निगम मंडल अध्यक्षकों का रवैया चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं को कुछ समझ नहीं आ रहा। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा खेमे में शीर्ष संगठन और पूर्व मंत्री अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं एकजुट कर रणनीति बनाकर कार्य करने में नाकाम रही।
– संसदीय सचिव और मंडल अध्यक्षों की भूमिका पूर्व भाजपा सरकार सरकार में 49 विधायक थे। जिसमें से 11 विधायकों को खुश करने संसदीय सचिव बनाया था। जिसे लेकर कोर्ट में भी मामला चला। इसके अलावा जिन्हें कई नेताओं को निगम और मंडलों में अध्यक्ष पद राज्य मंत्री का दर्जा देकर संतुष्ट किया गया था। लेकिन विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लोकसभा में इसमें से कईयों ने प्रचार से किनारा कर लिया है।
– कार्यकर्ताओं को नहीं मिल रही दिशा विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति को देखते हुए कार्यकर्ता इस चुनाव में पूरी निष्ठा के साथ लगे हुए हैं। यही नहीं खुद से आकर काम पूछते हैं, ताकि पार्टीहित में पूरा योगदान देकर मोदी सरकार दोबारा बना सके। लेकिन कुछ नेताओं के ढुलमुल रैवये ऐसे कार्यकर्ताओं का सहीं दिशा ही नहीं मिल पा रही।
गौरीशंकर श्रीवास, प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा का कहना है लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी और संगठन के शीर्ष नेताओं और पदाधिकारियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सभी प्रचार के लिए 24 घंटे पसीना बहा रहे हैं। साथ ही कार्यकर्ताओं को भी बेहतर मार्गदर्शन दे रहे हैं। जिसका नतीजा है कि आज सभी एकजुट होकर लगे हुए हैं। ये सिर्फ एक चुनाव नहीं महाकुंभ है, जिसमें भाजपा की सरकार बनाने नेता, कार्यकर्ताओं से लेकर आमजन भी डूबकी लगा रहे।