जबतक यह लोकसभा सीट मध्यपरदेश का हिस्सा था यहाँ कांग्रेस का राज था लेकिन छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद से भाजपा यहाँ से एक बार भी लोकसभा चुनाव नहीं हारी है। 1999 में जब यहाँ पहलीबार चुनाव हुए तो रमन सिंह ने मोतीलाल वोरा को यहाँ से हरा दिया था उसे बाद से अबतक भाजपा के इस किले को कोई भेद नही पाया है और फिलहाल यहाँ से रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह सांसद हैं,लेकिन भाजपा ने उहने इस बार टिकट नहीं दिया है
भाजपा कर रही है अपने इस गढ़ को बचाने की चुनौती का सामना कांग्रेस ने इसबार खुज्जी से दो बार विधायक रहे भोलाराम साहू को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने 2003 में कवर्धा विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले संतोष पांडेय पर भरोसा जताया है।
राजनांदगांव की आठ विधानसभा सीटों में से पांच सीटों पर इस समय कांग्रेस का कब्जा है और एक सीट जोगी कांग्रेस तो भाजपा के पास महज एक सीट ही है।जातीय समीकरण की बात करें तो यहाँ सबसे ज्यादा वोट साहू समाज का है।