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महाघमासान में उतरने से कतरा रहे दिग्गज, कहीं सत्ता का सुख तो कहीं बहुमत का भय

locationरायपुरPublished: Mar 16, 2019 01:21:16 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत कर आये और अब मंत्रीपद को सुशोभित कर रहे छत्तीसगढ़ सरकार के दिग्गज लोकसभा की जंग में अपने पद की आहुति देने को कोई तैयार नहीं है।

lok sabha election 2019

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रायपुर. विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत कर आये और अब मंत्रीपद को सुशोभित कर रहे छत्तीसगढ़ सरकार के दिग्गज लोकसभा की जंग में अपने पद की आहुति देने को कोई तैयार नहीं है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि संसदीय चुनाव में कांग्रेस आलाकमान की कोशिश है कि विधानसभा में मिली जीत को भुनाया जाए और कम से कम दो से तीन सीटों पर उन मंत्रियों की ताकत की फिर से जोर आजमाइश हो जिन्होंने तीन माह पूर्व विधानसभा चुनाव में भी अपने जौहर दिखाए हैं।
लोकसभा में उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर जो चर्चाएं चल रही हैं उसमें बस्तर सीट से आबकारी मंत्री कवासी लखमा और दुर्ग से गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का नाम बतौर उम्मीदवार लिया जा रहा है। दोनों ही मंत्रियों की क्रमश: बस्तर और दुर्ग संसदीय सीट पर जबरदस्त साख है।
लेकिन खबर है कि लखमा ने बस्तर सीट से अपनी उम्मीदवारी से साफ़ इनकार कर दिया है वहीं ताम्रध्वज पत्रिका से कहते हैं कि केवल दुर्ग से ही क्यों सभी सीटों से मंत्रियों को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए मतलब साफ़ है वो भी उम्मीदवारी के लिए कत्तई तैयार नहीं है। सर्वाधिक दिलचस्प यह है कि मंत्रियों की जगह उनके बेटों के नाम की चर्चा शुरू हो गई है।
lok sabha election 2019
गौरतलब है कि दुर्ग सीट जहाँ से ताम्रध्वज सांसद रहे हैं फिलहाल उनके बेटे जीतेन्द्र साहू का नाम चल रहा है,वहीँ बस्तर से कवासी के बेटे हरीश का नाम भी दौड़ रहा है। उधर भाजपा भी अपने उन दिग्गजों को मैदान में उतारना चाहती है जो पूर्व की सरकार में मंत्री रहे हैं या फिर जिन्होंने विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत का लोहा मनवाया है लेकिन वो भी उम्मीदवारी से कतरा रहे हैं।

पूर्व मंत्रियों पर दांव लगा सकती है बीजेपी

भाजपा में इस बात की प्रबल सम्भावना है कि पिछले चुनाव में जीती गई 10 में से कम से कम 8 सीटों पर उम्मीदवार बदले जायेंगे । इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि आधा दर्जन पूर्व मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली भारी जीत के बाद कई पूर्व मंत्री ऐसे प्रयोग से घबरा रहे हैं।
गौरतलब है कि भाजपा में अंदरखाने राजनांदगांव सीट से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने की बातें भी कही जा रही है जहाँ से अब तक डॉ सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह सांसद हैं, लेकिन खुद डॉ. सिंह अपनी उम्मीदवारी से इनकार कर रहे हैं यही बात कुरूद विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को लेकर भी है।
कांकेर सांसद विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद यह बात लगभग साफ हो चुकी है कि पार्टी अब संभवत: उनको कांकेर सीट से बतौर उम्मीदवार न उतारे। वैसे भी वो विधानसभा चुनाव में पराजित हो चुके हैं लेकिन उसेंडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से यह भी स्पष्ट है कि केन्द्रीय मंत्री और रायगढ़ से सांसद विष्णुदेव साय पर एक बार फिर भाजपा दांव लगा सकती है।
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कुछ दिनों से यह चर्चा जोरों पर थी कि भाजपा साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर रायगढ़ राज परिवार के देवेन्द्र बहादुर सिंह को बतौर सांसद चुनाव मैदान में उतारेगी। लेकिन जो सबसे चौका देने वाली चर्चा चल रही है वो यह है कि राजनांदगांव सीट से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, बिलासपुर से अमर अग्रवाल और रायपुर सीट से पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को चुनाव लड़ाया जा सकता है।
कोरबा से राजवाड़े और महासमुंद से अजय चंद्राकर का नाम भी संभावितों में शामिल है। अगर दोनों पार्टियों की संभावित सूची को देखे तो पता लगता है कि दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने दिग्गजों को भावी उम्मीदवार के लिए टटोलना शुरू कर दिया है।

न हुए कवासी तैयार तो लखेश्वर बन सकते हैं उम्मीदवार

जब मंत्रियों की उम्मीदवार का सवाल लेकर हम गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के पास जाते हैं तो वो कहते हैं कि क्यों नहीं लडऩा चाहिए ?गर 11 सीटों पर 11 मंत्री चुनाव जीत सकते हैं तो उनको लड़ाना चाहिए। वो कहते हैं किपार्टी के लिए जीत महत्वपूर्ण है राहुल गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाना हमारी प्राथमिकता है।
जब ताम्रध्वज से यह पूछा जाता है कि अगर आपको दुर्ग सीट पर उम्मीदवार बनाया जाए तो क्या आप तैयार होंगे? तो वो कहते हैं कि हर सीट पर मंत्री, पूर्व सांसद या फिर कोई विधायक अगर पार्टी को जीत दिला सकता है तो उसकी उम्मीदवारी से ऐतराज नहीं होगा ।
जहाँ तक बस्तर सीट का सवाल है खबर है कि कवासी लखमा ने बस्तर सीट से चुनाव लडऩे की अनिच्छा जाहिर की है। चर्चा रही है कि कवासी अपने बेटे को बस्तर सीट से उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। लेकिन पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि कवासी के तैयार न होने की स्थिति में पार्टी लखेश्वर बघेल को बस्तर से उम्मीदवार बना सकती है।

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