सुंदर नगर स्थित जिंदगी ना मिलेगी दोबारा संस्था के कार्यक्रम में अध्यक्ष सुषमा तिवारी, सचिव ममता शर्मा, कोषाध्यक्ष चंद्रसेना दीवान, संरक्षक सुमन कमलेश शर्मा, अजय शर्मा, प्रमुख सलाहकार सौरभ तिवारी, विधिक सलाहकार रूपाली शर्मा, रीता चंद्राकर, उपाध्यक्ष सुमन दीवान, प्रभा शर्मा, मनीषा चंद्राकर, रश्मि शर्मा, तृप्ति शर्मा, लता साहू, ईश्वर शर्मा, हितेश दीवान, आंचल तिवारी, रंजना साहू, इंद्राणी शर्मा, निधि शर्मा, पद्मिनी शर्मा, संध्या विनय तिवारी, अर्चना तिवारी, अर्चना शर्मा, सुषमा शुक्ला, नेहा कश्यप, ज्योति शुक्ला, हर्षिता दीवान आदि ने कहा कि आने वाली सरकार मजबूत होनी चाहिए, मजबूर नहीं। सांसद ऐसा हो जो छत्तीसगढ़ के लोकसभा में बेहतर प्रतिनिधित्व कर सके। चुनाव के दौरान उम्मीदवार के प्रचार अभियान की कमान राजनीतिक दलों के हाथों में न होकर चुनाव आयोग के पास होना चाहिए। ताकि हर व्यक्ति आपने पसंदीदा उम्मीदवार का स्वतंत्र प्रचार कर सके। संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। महिलाओं और युवाओं को रोजगार के अवसर मिलना चाहिए। ठेका मजदूरों और रेगहा किसानों के विकास के लिए कदम उठाने चाहिए। साथ ही देश मे फैले जातिवाद संबंधित समस्याओं का समाधान हो और देश मे शांति व्यवस्था लागू करने की दिशा में सकारात्मक पहल की जानी चाहिए।
आम जनता की समस्याओं पर नहीं होती चर्चा
पत्रिका के चेंजमेकर के रूप में उपस्थित सुदीप्तो चटर्जी, चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष राकेश सेठिया, प्रकाशचंद जैन, सुधीर नायक, नवीन श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव आदि ने कहा कि राजनीति के आर्थिक समीकरणों में पारदर्शिता होनी चाहिए और हर राजनीतिक नेता को अपनी पूरी संपत्ति का विवरण देना चाहिए। जब चुनाव का माहौल आता है, तब-तब ऐसे मुद्दों पर चर्चा या बहस की जाती है। जिनकी कोई आवश्यकता नहीं होती है। आम जनता की मुख्य समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं होती है।
पत्रिका के चेंजमेकर के रूप में उपस्थित सुदीप्तो चटर्जी, चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष राकेश सेठिया, प्रकाशचंद जैन, सुधीर नायक, नवीन श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव आदि ने कहा कि राजनीति के आर्थिक समीकरणों में पारदर्शिता होनी चाहिए और हर राजनीतिक नेता को अपनी पूरी संपत्ति का विवरण देना चाहिए। जब चुनाव का माहौल आता है, तब-तब ऐसे मुद्दों पर चर्चा या बहस की जाती है। जिनकी कोई आवश्यकता नहीं होती है। आम जनता की मुख्य समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं होती है।
जनता की बुनियादी समस्याओं पर ही पार्टी या प्रत्याशी को चुनाव लडऩा चाहिए। आगामी लोकसभा चुनाव पर चर्चा के दौरान कई मुददों पर बात हुई। चुनाव के लिए एक मजबूत प्रत्याशी होना चाहिए जो की सक्षम हो। तंत्र को चलाने में जिससे एक मजबूत सरकार का गठन हो सके। युवाओं की भागीदारी बढऩी चाहिए जिससे विकास के और विकल्प खुले। योजनाएं केवल टेबल तक ही सीमित ना रहे वो ग्राउंड लेवल तक पहुंचे। युवाओं की भागीदारी में और इजाफा होना चाहिए, जिससे राजनैतिक माहौल की छवि साफ हो सके।