रमेश बैस
वर्ष 2014 में रायपुर से पुन: निर्वाचित हुए रमेश बैस ने पिछले पांच सालों में संसद में केवल पांच सवाल ही उठायें हैं। इनमे से एक सवाल उच्च न्यायालय में प्रयोग की जाने वाले भाषा और एक सवाल हाई स्पीड ट्रेनों के कोच के निर्माण से जुड़ा है। हांलाकि रमेश बैस की संसद में उपस्थिति 89 फीसदी रही है जो कि राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी से ज्यादा है। पिछले पांच सालों में इन्होने केवल एक बार महानदी जल के बंटवारे के मुद्दे पर हुई बहस में हिस्सा लिया है ।
बंसीलाल महतो
वर्ष 2014 में कोरबा से चुनाव जीतने वाले बंसीलाल महतो का संसद में प्रदर्शन ठीक ठाक रहा है। इन्होने मीट मांस के निर्यात से लेकर आदिवासी विश्वाविद्यालय , बेरोजगारी, हसदेव बांगो बाँध के जल के बंटवारे और सायबर फ्राड पर ही नहीं भारत इजरायल सम्बन्धों पर भी संसद में सवाल पूछे हैं। पिछले पांच सालों में संसद में इन्होने 543 सवाल पूछे हैं इनकी उपस्थिति भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही है ।
कमलभान सिंह मरावी
पिछले लोकसभा चुनाव में सरगुजा से जीतने वाले कमलभान सिंह मरावी का कार्यकाल बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा है। पिछले पांच सालों में इनकी उपस्थिति महज 73 फीसदी रही है तो केवल 32 सवाल ही इन्होने किये हैं। इन्होने पांच सालों में लोकसभा में सरगुजा से नई दिल्ली के बीच ट्रेन शुरू करने का मामला दो बार उठाया । है इसके अलावा निजी हवाई सेवाओं और ई रिक्शा पर मिलने वाली सब्सिडी पर भी कमलभान सिंह ने संसद में सवाल पूछे हैं ।
अभिषेक सिंह
राजनांदगांव सांसद अभिषेक सिंह की संसद में उपस्थिति राष्ट्रीय औसत से कम रही है। लेकिन इन्होने पांच साल में संसद में 390 सवाल पूछे हैं इन सवालों में एटामिक मटेरियल की चोरी, सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय के निर्माण, छत्तीसगढ़ी को आठवी अनुसूची में शामिल करने जैसे मुद्दे शामिल रहे हैं। अभिषेक सिंह ने संसद की कई बहसों में हिस्सेदारी भी की है।विक्रम उसेंडी
अभी हाल में ही छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और विधानसभा चुनाव में पराजित होने वाले कांकेर सांसद विक्रम उसेंडी की लोकसभा में छत्तीसगढ़ की ओर से सर्वाधिक 96 फीसदी की उपस्थिति रही है । इन्होने पांच साल में संसद में कुल 121 सवाल पूछे थे। जिनमे किसानों के भूमि अधिग्रहण, कैम्पा फंड के इस्तेमाल के अलावा रेलवे और वायु यातायात से जुड़े सवालों की भरमार हैं ।
लखनलाल साहू
बिलासपुर सांसद लखन लाल साहू की लोकसभा में उपस्थिति 86 फीसदी रही है इन्होने पिछले पांच सालों में लोकसभा में 237 सवाल किये हैं जो कि राष्ट्रीय औसत से कम रहा है। इन्होने संसद में पर्यावरण यूनिवर्सिटी की स्थापना , सट्टेबाजी , कीटनाशकों के दुरुपयोग , नई रेलवे लाइन से जुड़े अलग अलग विषयों पर संसद में सवाल पूछे हैं ।
दिनेश कश्यप
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप का भी संसद में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है पिछले पांच सालों में संसद में इन्होने केवल 7 सवाल पूछे हैं। इनकी उपस्थिति भी राष्ट्रीय औसत से कम रही ई दिनेश कश्यप ने जो सवाल किये हैं । उनमे एनएमडीसी से होने वाले प्रदूषण और राज्यों को जारी किये जाने वाले फंड से जुड़े सवाल थे।चंदूलाल साहू
महासमुंद सांसद चंदूलाल साहू की लोकसभा में 95 फीसदी उपस्थिति रही हैं हांलाकि इन्होने पिछले पांच सालों में संसद में 203 सवाल किये हैं जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है। चंदूलाल ने संसद में सिकल सेल एनीमिया, ट्रेनों के विलम्ब से चलने, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों से जुड़े मुद्दों को संसद में जोर शोर से उठाया है।कमलादेवी पाटले
जांजगीर चाम्पा सांसद कमला देवी पाटले ने संसद में राष्ट्रीय औसत से दोगुने सवाल दागे हैं हांलाकि उनकी उपस्थिति 80 फीसदी रही है। इन्होने संसद में जलवायु परिवर्तन , खादी के प्रमोशन, बोर्ड आफ कंपनीज में महिला निदेशकों की नियुक्ति , भूगर्भीय जल स्तर में आ रही कमी से जुड़े मुद्दों पर संसद में सवाल पूछे हैं ।ताम्रध्वज साहू
छत्तीसगढ़ सरकार में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने पांच साल पूरा होने से पहले लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था लेकिन कांग्रेस के इस एकमात्र सांसद की उपस्थिति राष्ट्रीय औसत के बराबर है। इन्होने संसद में पांच साल में 169 सवाल किये जिनमे छत्तीसगढ़ में एयरपोर्ट का विकास, वन भूमि के अतिक्रमण, चिटफंड कंपनियों के कारगुजारियों से जुड़े मुद्दे उठाये गए।