लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की सभाओं में भी पूर्व लालबत्ती वाले सभी नेता नजर नहीं आए। इनमें पूर्व मंत्रियों से लेकर कुछ संसदीय सचिव भी शामिल हैं। कुछ जगह तो आपस में विवाद की भी खबर आती रही।
संसदीय सचिव और मंडल अध्यक्षों की भूमिका: पूर्व भाजपा सरकार सरकार में 49 विधायक थे। इनमें से 11 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया था। इसे लेकर कोर्ट में भी मामला चला। इसके अलावा कई नेताओं को निगम और मंडलों में अध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। लेकिन विधानसभा चुनाव में हार के बाद इनमें से कई नेताओं ने प्रचार में सक्रियता नहीं दिखाई।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी और संगठन के शीर्ष नेताओं और पदाधिकारियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। सभी ने प्रचार के लिए 24 घंटे पसीने बहाया। कार्यकर्ताओं को भी बेहतर मार्गदर्शन देते रहे। इसका नतीजा है कि सभी एकजुट हुए। ये सिर्फ एक चुनाव नहीं महाकुंभ है।
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