छत्तीसगढ़िया भोले हैं, कमजोर नहीं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसके लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर इसका विरोध किया है। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि, 2014 में मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही छत्तीसगढ़ के किसानों का धान का बोनस रोक दिया था और अब दाल-भात सेंटर को खाद्यान्न देने से मना कर दिया है। आगे उन्होंने सख्त लहजे में लिखा है कि, छत्तीसगढ़िया भोला जरूर होता है, पर कमजोर नहीं। छत्तीसगढ़ विरोधी मानसिकता वाले नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी का प्रदेश की जनता ईंट से ईंट बजा देगी।
बड़ी योजनाओं को बंद करने की साजिश
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। कहा, वर्तमान सरकार उनके दौर की बड़ी-बड़ी योजनाओं को बंद करने की साजिश कर रही है। कभी चना, तो कभी नमक की योजना को बंद करने का प्रयास हो रहा है। दाल-भात केंद्र को बंद कर रहे हैं। यह बड़ी योजना है। यदि केंद्र से चावल नहीं मिलता है, तो इसकी वजह से इतना रोना क्यो रो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में पर्याप्त चावल है। 100-50 करोड़ के लिए सिर्फ आरोप लगा कर छत्तीसगढ़ को वित्तीय कुचक्र में फंसाने का षडय़ंत्र रचा जा रहा है।
जिम्मेदारी से बचने फैला रहे भ्रम
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, दाल-भात केंद्र बंद होने के लिए सीधे-सीधे राज्य सरकार जिम्मेदार है और वो अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए भ्रम फैला रही है। उन्होंने कहा, हर योजना की समय-समय पर समीक्षा होती। राज्य सरकार अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रख सकी, इसलिए योजना के बंद होने की नौबत आ गई है। यदि सरकार की मंशा साफ से है, तो राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति लेकर इसे लागू करने के लिए पहल करनी चाहिए। इस काम में हम भी उनका साथ देंगे।
प्रदेशाध्यक्ष ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र
दाल-भात केंद्र के सुचारु संचालन के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेण्डी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि दाल-भात केन्द्र के लिए चावल निर्गत करने का फैसला अगर आचार संहिता में भी कांग्रेस सरकार लेती है तो भाजपा को आपत्ति नहीं होगी। अगर इस आशय की अनुमति के लिए भूपेश सरकार चुनाव आयोग जाती है तो भाजपा इसका समर्थन करेगी। उसेण्डी ने चुनाव आयोग को प्रेषित पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी भेजी है। साथ ही लोकहित के इस मामले पर त्वरित कारवाई करने का आग्रह किया है।