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लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा सांसदों के टिकट काटने में इनकी रही महत्वपूर्ण भूमिका

locationरायपुरPublished: Mar 22, 2019 11:48:30 am

Submitted by:

Deepak Sahu

भाजपा ने छत्तीसगढ़ को फतह करने के लिए दिल्ली निकाय और गुजरात विधानसभा चुनाव का फार्मूला लागू किया है

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रायपुर. भाजपा ने सभी सांसदों का टिकट काटने का फैसला लेकर सभी को चौका दिया है, लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा ने छत्तीसगढ़ को फतह करने के लिए दिल्ली निकाय और गुजरात विधानसभा चुनाव का फार्मूला लागू किया है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ और दिल्ली की परिस्थितियां लगभग एक समान है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ने निकाय चुनाव के सभी वर्तमान पार्षदों का टिकट काट दिया था। सभी वार्डों में इकदम नए चेहरे उतरे थे। इसका नतीजा शानदार रहा। गुजरात विधानसभा चुनाव में भी दो बार बड़े पैमाने पर टिकट बदले गए हैं। अब भाजपा छत्तीसगढ़ में इस रणनीति पर काम कर रही है।
दिल्ली का फार्मूला लागू होने के बाद यह तय है कि अब भाजपा किसी भी सीट से चर्चित नामों को जगह नहीं देगी। यानी अब भाजपा के जो भी उम्मीदवार होंगे, वो एकदम से फ्रेश होंगे। पार्टी पदाधिकारियों की माने तो जनप्रतिनिधियों की भूमिका में रहने वाले किसी भी उम्मीदवार नहीं बनाएगी। क्योंकि उनके साथ कभी न कभी विवाद भी जुड़ जाता है। इस लिहाज से संगठन में काम करने वाले लोगों को टिकट देने की प्रबल संभावना है।

सर्वे में आदर्श ग्राम और सोशल मीडिया रहा प्रभावशील
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सांसदों की टिकट काटने का फैसला अचानक नहीं लिया गया है। इस फैसले से पहले भाजपा ने सभी सांसदों के कामकाज के आंकलन के लिए सर्वे करवाया था। अधिकांश सांसद पार्टी की कसौटी पर खरे नहीं पाए गए। इसके बाद ही पार्टी ने यह बड़ा कदम उठाने का फैसला लिया है।

सांसद आदर्श ग्राम और सांसद सोशल मीडिया में सक्रिय नहीं है। तीन से चार सांसदों का ट्विटर पर एकाउंट नहीं है। कुछ एकाउंट होने के बाद भी काम नहीं कर रहे हैं। इसमें कांकेर के सांसद और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेण्डी भी शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा ने टेलीफोन के जरिए कार्यकर्ताओं से सांसदों को लेकर राय पूछी थी।

अब आगे क्या?
भाजपा अक्सर नए चेहरे को मैदान में उतरने का प्रयोग करती रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि प्रत्याशी को लेकर विरोधियों के पास सीधे हमला करने के लिए कोई मुद्दा भी नहीं रहता है। पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता उनके साथ जुडकऱ काम करता है। वंशवाद की राजनीति भी पूरी तरह नहीं पनप पाती है। इससे कार्यकर्ताओं को आगे स्वयं के लिए उम्मीद बने रहती है।

भितरघात की संभावना से इनकार
पार्टी के पदाधिकारी भितरघात की संभावना से साफ इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले 15 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार रही है। इस वजह से सांसदों का कद ज्यादा नहीं बढ़ सकता है। ज्यादातर कार्यकर्ता मंत्रियों और संगठन के आसपास ही रहे हैं। वहीं लगातार उपेक्षित रहे कार्यकर्ता संगठन के फैसले से संतुष्ट नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस बोली, सांसदों का टिकट काटकर जवाबदेही से नहीं बच सकती भाजपा
भाजपा सांसदों की टिकट काटे जाने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के लिए सांसदों का टिकट काटना विवाह जैसा कार्यक्रम हो सकता है, लेकिन यह मसला छत्तीसगढ़ से और राज्य की राजनीति से जुड़ा हुआ है। इस मामले में सवाल भी उठेंगे।

उन्होंने कहा, भाजपा में नरेंद्र मोदी भी मनमानी कर अपनी करतूतों पर पर्दा डालने बेचारे सांसदों को बलि का बकरा बना रहे हैं। जनतंत्र सामूहिक नेतृत्व के सूत्र पर चलता है। सांसद नाकामयाब साबित हुए तो उनके दम पर बनी सरकार कैसे सफल मानी जाएगी। इन सांसदों की विफलता पूरी भारतीय जनता पार्टी की विफलता है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा सांसदों की टिकट काट कर अपनी जबाबदेही से बच नही सकते। छत्तीसगढ़ की जनता इन सांसदों की अकर्मण्यता का पूरा हिसाब पूरी पार्टी से लेगी।
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