सर्वे में आदर्श ग्राम और सोशल मीडिया रहा प्रभावशील
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सांसदों की टिकट काटने का फैसला अचानक नहीं लिया गया है। इस फैसले से पहले भाजपा ने सभी सांसदों के कामकाज के आंकलन के लिए सर्वे करवाया था। अधिकांश सांसद पार्टी की कसौटी पर खरे नहीं पाए गए। इसके बाद ही पार्टी ने यह बड़ा कदम उठाने का फैसला लिया है।
अब आगे क्या?
भाजपा अक्सर नए चेहरे को मैदान में उतरने का प्रयोग करती रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि प्रत्याशी को लेकर विरोधियों के पास सीधे हमला करने के लिए कोई मुद्दा भी नहीं रहता है। पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता उनके साथ जुडकऱ काम करता है। वंशवाद की राजनीति भी पूरी तरह नहीं पनप पाती है। इससे कार्यकर्ताओं को आगे स्वयं के लिए उम्मीद बने रहती है।
भितरघात की संभावना से इनकार
पार्टी के पदाधिकारी भितरघात की संभावना से साफ इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले 15 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार रही है। इस वजह से सांसदों का कद ज्यादा नहीं बढ़ सकता है। ज्यादातर कार्यकर्ता मंत्रियों और संगठन के आसपास ही रहे हैं। वहीं लगातार उपेक्षित रहे कार्यकर्ता संगठन के फैसले से संतुष्ट नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस बोली, सांसदों का टिकट काटकर जवाबदेही से नहीं बच सकती भाजपा
भाजपा सांसदों की टिकट काटे जाने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के लिए सांसदों का टिकट काटना विवाह जैसा कार्यक्रम हो सकता है, लेकिन यह मसला छत्तीसगढ़ से और राज्य की राजनीति से जुड़ा हुआ है। इस मामले में सवाल भी उठेंगे।