पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जेष्ठ मास क पूर्णिमा तिथि पर 6 जून को अधिक स्नान कर लेने से भगवान जगन्नाथ स्वामी भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ बीमार पड़ गए थे। 15 दिनों तक मंदिर के पुजारी भगवान को सुबह- शाम जड़ी-बूटी के काढ़ा का भोग लगाते रहे। अब भगवान स्वस्थ हो गए हैं। सोमवार को शहर के सभी जगन्नाथ स्वामी मंदिरों में भगवान का नेत्र उत्सव यानी कि अभिषेक-पूजन होगा। 23 जून को रथ यात्रा थी, जिसे मंदिर समितियों ने निरस्त कर दिया है, क्योंकि संकट के कारण रथयात्रा नहीं निकालना तय करना पड़ा है। सदरबार बाजार मंदिर ने कुछ तय नहीं किया।
नहीं निकलेगी रथयात्रा
कोरोना संकट के कारण प्राचीन परंपरा टूट रही है। इस बार रथयात्रा नहीं निकलेगी। बल्कि परिसर में ही रथ पर भगवान का विराजने की परंपराएं पूरी होंगी। यहीं भक्त दर्शन कर सकेंगे। एक कमरे को अवधपुर का स्वरूप दिया गया है।
महंत रामसुंदर दास, प्राचीन दूधाधारी मठ
कोरोना संकट के कारण प्राचीन परंपरा टूट रही है। इस बार रथयात्रा नहीं निकलेगी। बल्कि परिसर में ही रथ पर भगवान का विराजने की परंपराएं पूरी होंगी। यहीं भक्त दर्शन कर सकेंगे। एक कमरे को अवधपुर का स्वरूप दिया गया है।
महंत रामसुंदर दास, प्राचीन दूधाधारी मठ
मंदिर से बाहर नहीं निकलेंगे महाप्रभु
पुरी जैसी परंपराएं टूट रही हैं। यहां रथयात्रा के दिन छेरा-पहरा की रस्में राज्यपाल और मुख्यमंत्री सोने की झाडू लगाकर करते रहे हैं, लेकिन इस बार जगन्नाथ महाप्रभु मंदिर से बाहर नहीं निकलेंगी। सिर्फ रोज की तरह पूजा-आरती होगी।
पुरंदर मिश्रा, अध्यक्ष जगन्नाथ मंदिर गायत्री नगर
पुरी जैसी परंपराएं टूट रही हैं। यहां रथयात्रा के दिन छेरा-पहरा की रस्में राज्यपाल और मुख्यमंत्री सोने की झाडू लगाकर करते रहे हैं, लेकिन इस बार जगन्नाथ महाप्रभु मंदिर से बाहर नहीं निकलेंगी। सिर्फ रोज की तरह पूजा-आरती होगी।
पुरंदर मिश्रा, अध्यक्ष जगन्नाथ मंदिर गायत्री नगर