कोरोनाघात: प्रदेश में 15 से 25 दिनों तक लड़ने के बाद हार रही जिंदगियां
बीते महीनेभर में ऐसे 50 से अधिक केस सामने आ चुके हैं जिनका इलाज 15 से 25 दिनों तक चला मगर अंत में जिंदगियां हार गईं। डॉक्टरों का मानना है कि संक्रमण इतनी तेजी से शरीर में फैल रहा है कि अगर संक्रमण की पहचान में 2-4 दिन की भी देरी हुई तो मुश्किलें बढ़ रही हैं।

रायपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर जरूर ब्रेक लगा हो, मगर मौत के आंकड़ों पर रोक लगाने वाले सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। अब एक और नई मुसीबत आ खड़ी हुई है। बीते महीनेभर में ऐसे 50 से अधिक केस सामने आ चुके हैं जिनका इलाज 15 से 25 दिनों तक चला मगर अंत में जिंदगियां हार गईं। डॉक्टरों का मानना है कि संक्रमण इतनी तेजी से शरीर में फैल रहा है कि अगर संक्रमण की पहचान में 2-4 दिन की भी देरी हुई तो मुश्किलें बढ़ रही हैं।
'पत्रिका' पड़ताल में सामने आया कि इस बीमारी के दुनिया में आए सालभर होने और प्रदेश में आए 8 महीने गुजरने के बाद भी लोग जागरूक नहीं हुए हैं। अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों से जब डॉक्टर पूछताछ करते हैं तो मरीज कह रहे हैं कि 3-4 दिन से सर्दी-जुखाम था। बुखार थी, मेडिकल स्टोर से दवाइयां ले रहे थे। थोड़ी-थोड़ी गंध जा रही थी, कुछ स्वाद भी नहीं लग रहा था। जबकि यही तो कोरोना के लक्षण हैं, जो हमारी लापरवाही की वजह से जानलेवा साबित हो रहे हैं। आज भी रोजाना 15-20 डेथ रिपोर्ट हो रही हैं। सबकी एक ही कारण है देरी से जांच।
ये मामले उदाहरण हैं, कि अगर समय पर लक्षण पहचान में आते तो जान बच सकती थी-
केस - 1
मृतक- 80 वर्षीय पुरुष
मौत का कारण- कोरोना, अन्य बीमारी- हाईपरटेंशन
सुभाषनगर, भाटापारा निवासी 80 वर्षीय पुरुष को 30 नवंबर को रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। इलाज के दौरान 14 दिसंबर को मौत हो गई। डॉक्टरों के मुताबिक उनके फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था।
केस - 2
मृतक- 60 वर्षीय पुरुष
मौत का कारण- कोरोना, अन्य बीमारी- डायबीटिज
बंलागीर ओडिशा निवासी 60 वर्षीय बुजुर्ग को 24 नवंबर को एम्स में भर्ती करवाया गया था। जहां इलाज के दौरान उन्होंने 13 दिसंबर को दमतोड़ दिया। इन्हें साधारण बुखार की शिकायत थी। डॉक्टरों के मुताबिक परिजनों द्वारा लक्षण की पहचान करने में देरी हुई थी।
कोरोना मरीजों की पहचान-
पहला- एक मरीजों की कांटेक्ट ट्रैसिंग के दौरान अन्य मरीजों की पहचान। दूसरा- लक्षण दिखाई देने पर जांच करवाने पर संक्रमण मालूम चलना। तीसरा- सांस लेने में तकलीफ, या हांफना। चौथा- 24 घंटे ऑक्सीजन की जरुरत पडऩा। इसे डेथ स्टेज भी कहा जाता है।
एक्सपर्ट व्यू-
देखिए, अभी हमारे पास मरीज संक्रमण होने के 7वें-8वें दिन आते हैं। पाया जाता है कि उन्हें लंग्स फाइब्रोसिस हो गया है। फेफड़े काम नहीं कररहे हैं। सेकेंड्री इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। और फिर आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। मौत की एक सामान्य वजह यह भी है, क्योंकि खून जमने लगता है, इसकी वजह से ब्रेन हेमरेज होता है। हार्ट पंप करना बंद या कम कर देता है। बस एक ही उपाए है समय पर बीमारी की पहचान।
-डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष, टीबी एंड चेस्ट, डॉ. आंबेडकर अस्पताल
समय पर व्यक्ति में कोरोना की पहचान हो जाए तो 5-7 दिन में वह संक्रमण मुक्त हो जाता है। जितनी लेट उतना ज्यादा शरीर को नुकसान होना तय है। इसलिए बार-बार अपील की जा रही है लक्षण है तो जांच करवाएं।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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