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महंत की इच्छा…और गड़बड़ाया राज्यसभा का गणित

locationरायपुरPublished: Mar 01, 2022 11:23:40 pm

Submitted by:

Rajesh Lahoti

स्पीकर चरणदास महंत ने किया ऐलान: अब राज्यसभा में जाना है

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महंत की इच्छा…और गड़बड़ाया राज्यसभा का गणित,महंत की इच्छा…और गड़बड़ाया राज्यसभा का गणित

राजेश लाहोटी
रायपुर। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की इच्छा के बाद कांग्रेस से राज्यसभा में जाने वालों के गणित गड़बड़ा सकते हैं। अपनी बारी की उम्मीद लगाए बैठे कई कांग्रेसियों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। वहीं सामाजिक गणित का तानाबाना लेकर बैठे उम्मीद्वार भी निराश हो सकते हैं।
हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने अपनी इच्छा व्यक्त की है कि वे अब राज्यसभा में जाना चाहते हैं। चूंकि छत्तीसगढ़ में पांच राज्यसभा सीट है। इसमें से जून में राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही है, ऐसे में महंत के बयान को लोग काफी गंभीरता से ले रहे हैं। महंत कुछ महीने पहले आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे की इच्छा जता चुके हैं और केंद्र की राजनीति में ही सक्रिय रहने की बात कर चुके हैं। ऐसे में महंत के बयान को लेकर राजनीतिज्ञ कई कयास लगा रहे हैं। अभी फिलहाल छत्तीसगढ़ से पांच सीट पर फुलोदेवी नेताम, के.टी.एस. तुलसी, छाया वर्मा, रामविचार नेताम और सरोज पांडेय राज्यसभा में है। इसमें से कांग्रेस की छाया वर्मा और भाजपा के रामविचार नेताम का कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने जा रहा है। कांग्रेस की एक सीट तो बरकरार है ही, दूसरी सदस्य संख्या ज्यादा होने के कारण भाजपा की सीट भी कांग्रेस के पाले में ही जाएगी। इस तरह राज्यसभा में कांग्रेस के पांच में से चार सांसद छत्तीसगढ़ से हो जाएंगे।
कैसे गड़बड़ाएंगे समीकरण
राज्यसभा के लिए छाया वर्मा का नाम फिर से भेजने की संभावना ज्यादा है। वहीं संगठन ओबीसी को साधने के लिए साहू समाज को भी प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर रहा है। चूंकि साहू समाज प्रदेश की राजनीति में अच्छा खासा दखल रखता है, इस लिहाज से संगठन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहेगा। साहू समाज से कई नेता है जो लाइन में है। वहीं कुर्मी समाज भी राजनीतिक दृष्टि से काफी प्रभावशाली है। कांग्रेस इस समाज के नेता को राज्यसभा भेज कर अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखना चाहेगा। हालांकि छाया वर्मा इसी समाज से आती है इसलिए उनके फिर से राज्यसभा जाने की प्रबल स्थिति है। महंत की इच्छा के बाद कांग्रेस आलाकमान को एक बार फिर तमाम समीकरण पर गौर करना पड़ेगा और राज्य की परिस्थितियों के आधार पर फैसला लेना होगा।
बाहरी बनाम स्थानीय
हाल ही में कृषि विश्वविद्यालय में स्थानीय कुलपति की मांग उठी थी। काफी हो-हंगामे के बाद स्थानीय कुलपति नियुक्त हुआ। इसी को लेकर राज्यसभा में भी बाहरी व्यक्ति (दूसरे प्रदेश)की बजाए स्थानीय को ही तरजीह देने की मांग उठी है। इस संदर्भ में कई प्रमुख नेताओं के बयान भी आए हैं। लेकिन सीटों के गणित को देखते हुए दिल्ली हाईकमान एक सीट पर स्थानीय और एक पर दूसरे प्रदेश के बड़े नेता को मौका दे सकती है।
महंत क्यों जाना चाहते हैं राज्यसभा
राजनीतिज्ञों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत प्रदेश की राजनीति में अपने बेटे को आगे लाना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने कुछ समय पहले आगामी विधानसभा चुनाव लडऩे से इंकार किया है। दूसरी ओर लोकसभा में उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा से सांसद है। ऐसे में जब दो सीटें खाली हो रही है, तो महंत ने अपनी इच्छा राज्यसभा के लिए जाहिर की है। और अगर वे राज्यसभा जाते हैं तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष और विधायकी दोनों से ही इस्तीफा देना होगा। ऐसे हालात में जबकि आगामी विधानसभा चुनाव में मात्र डेढ़-दो साल ही शेष है। इस तरह की राजनीतिक उठापटक की संभावना कम ही नजर आती है।
सीएम और कृषि मंत्री ने यह कहा…
फैसला पार्टी हाईकमान का होगा
विधानसभा अध्यक्ष हमारे वरिष्ठ नेता है और विधानसभा के अध्यक्ष भी है। प्रदेश में किसे चुनाव लड़ाना है, किसे राज्यसभा भेजना है यह फैसला पार्टी हाईकमान करेगा।
भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
हमेशा स्थानीय को ही बढ़ावा दिया है
कांग्रेस हमेशा से स्थानीय लोगों को बढ़ावा देती आई हैं। राज्यसभा के उम्मीदवार को लेकर मुख्यमंत्री हाईकमान से चर्चा करेंगे। इसके बारे में और ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।
रविन्द्र चौबे, कृषि मंत्री, छत्तीसगढ़

बस्तर से नहीं होगा नया नाम
बस्तर से पहले ही फुलोदेवी नेताम राज्यसभा में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वहीं लोकसभा में दीपक बैज भी बस्तर से ही है। ऐसे में कांग्रेस खाली सीट पर बस्तर से बाहर के उम्मीद्वारों पर ही विचार करेगी। तमाम गणित यही बताते हैं कि इस बार महिला और आदिवासी क्षेत्र की बजाए मैदानी इलाकों के नेताओं को प्राथमिकता दी जा सकती है।

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