मई 1994 में जब मध्यप्रदेश की ओर से वेस्टइंडीज के दौरे के लिए टीम तैयार करने की बारी आई तो 41 संभावितों की सूची में अब के छत्तीसगढ़ से केवल जयेश शुक्ला का नाम शामिल था। यह टीम भारतीय स्कूल खेल महासंघ के (एसजीएफआई) ने 20 मई 1994 को वेस्टइंडीज (India – West Indies cricket) के एक माह के दौरे पर जाने के लये बनाई गई थी जिसमें 13 मीडियम प्लेयर्स में जयेश शुक्ला का भी था। हालाँकि फिनेंसर के कारण शुक्ला का चयन नही हो पाया था।
राजनीति के चलते नहीं खेल पाए रणजी
नवम्बर 1996 में मध्यप्रदेश के लिए रणजी खेलने के लिए एक बार फिर जयेश का नाम सामने आया था। उस वक्त हरविंदर सिंह सोढ़ी के भारत की ए टीम में चुने जाने के बाद टीम में स्थान खाली होने पर उस स्थान के हकदार रायपुर के जयेश शुक्ला थे, पर उसे नजरअंदाज किया गया और ग्वालियर के खिलाड़ी को टीम में लिया गया। चयनकर्ताओं ने एक खिलाड़ी को रायपुर का बताया पर वह रायपुर का था ही नहीं। उस समय जयेश शुक्ला रायपुर संभाग के एक ऑलराउंडर खिलाड़ी थे। जयेश का कहा मेरे समय में मध्यप्रदेश था, लेकिन अब तो हमारा प्रदेश अलग है, फिर भी यहा के खिलाडियों का चयन क्यो नही हो रहा है ?
खडग़पुर सफर में धोनी के साथ
छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद जयेश शुक्ला को खडग़पुर रेलवे स्टेशन में वर्ष 1999 में नौकरी मिली। जिसके दो वर्ष बाद 2001 में महेन्द्र सिंह धोनी खडग़पुर रेलवे स्टेशन में जयेश शुक्ला के साथ एक ही कमरा में दो वर्षो तक साथ थे। जयेश शुक्ला ने बताया हम दोनों स्टेशन से काम करके घंटे का समय मैदान में बिताते थे। एक बार रणजी के लिए भारतीय रेलवे क्रिकेट में हिस्सा लेने धोनी (Cricketer Mahi) और मै साउथ इस्ट रेलवे से गए थे, लेकिन उस समय रणजी (Ranji Trophy) में रेलवे चैपिंयन होने के कारण टीम में कोई बदलाव नही चाहते थे।
खेप क्रिकेट खेलने जाते थे
कलकत्ता में खेप क्रिकेट स्पार्धा होता है, जिसमें रेलवे के खिलाडियों को अलग-अगल टीम पैसा देकर खेलने के लिए ले जाते थे। जयेश ने बताया खडगपुर रेलवे स्टेशन में आज भी दुर्गा स्पोर्टिंग क्लब है, जिससे मै और धोनी खेलते थे। हम लोगों ने दो सालों में कई मैच खेले है।
मेहनत से कभी पीछे नही हटे
जयेश शुक्ला (Cricketer Jayesh Shukla) ने बताया आज की क्रिकेटरो और हमारे समय के क्रिकेटरों में बहुत फर्क है। आज के खिलाड़ी को हर सुविधा मिल रहा है, लेकिन हम लोग जब खेलते थे, तो मैदान बनाना ,मैदान को रोलिंग करना व मैट बिछाने के बाद दस चक्कर मैदान के दौड़ लगाने के बाद हमें बैङ्क्षटग व बॉलिंग करने को मिलता था।
धोनी व अमय खुरसिया ने दिया था ऑफर
1999 में अमय खुरसिया ने इंदौर क्रिकेट एकाडमी में आकर खेलने के कहा था, लेकिन उस समय आर्थिक कारणों से नही जा पाया, वही महेन्द्र सिंह धोनी ने झारखंड से खेलने के लिए कहा, लेकिन उस समय अपना शहर रायपुर आने के कारण झारखंड नही जाना हुआ।