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रायपुर

महिला हेल्प लाइन का पुलिस थानों और 112 के साथ होगा इंटीग्रेशन , महिलाओं को मिलेगी पूरी मदद

महिला हेल्प लाइन के पास 3 साल में सिर्फ साढ़े 6 हजार ममाले ही पहुंचे , तीन साल गुजर गए लेकिन महिला हेल्प लाइन का, 112 और महिला थानों से इंटीग्रेशन नहीं हो पाया, इस कारण आपात स्थितियों में महिलाओं को 112 की मदद मिल जाती है, लेकिन अब नई राह बन रही है और महिला हेल्प लाइन 181 और 112 का इंटीग्रेशन हो रहा है

रायपुरDec 23, 2019 / 09:36 pm

sarita dubey

महिला हेल्प लाइन का पुलिस थानों और 112 के साथ होगा इंटीग्रेशन , महिलाओं को मिलेगी पूरी मदद

महिला हेल्प लाइन का पुलिस थानों और 112 के साथ होगा इंटीग्रेशन , महिलाओं को मिलेगी पूरी मदद


महिला हेल्प लाइन के पास 3 साल में सिर्फ साढ़े 6 हजार ममाले ही पहुंचे
रायपुर। तीन साल गुजर गए लेकिन महिला हेल्प लाइन का, 112 और महिला थानों से इंटीग्रेशन नहीं हो पाया, इस कारण आपात स्थितियों में महिलाओं को 112 की मदद मिल जाती है, लेकिन अब नई राह बन रही है और महिला हेल्प लाइन 181 और 112 का इंटीग्रेशन हो रहा है इससे अब यह होगा कि यदि 112 के पास महिला की कोई समस्या पहुंचेगी तो उसकी सारी डि़टेल जानकारी 181 को भी मिल जाएगी, जिससे उस महिला को पूरी मदद मिल पाएंगी।

अभी सारा काम मेन्युअली ही हो रहा था, यदि 112 इंटीग्रेट होकर काम करता तो महिला के केस की सारी जानकारी 181 और सखी सेंटर ऑनलाइन ही देख लेते, उन्हें किसी से महिला की डिटेल लेने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है इस कारण ही महिलाओं और बच्चियों से अत्याचार और दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं। 3 साल में सिर्फ साढ़े 6 हजार मामले ही 181 तक पहुंचे है, जिसमें से साढ़े 3 हजार मामलों में महिलाओं को न्याय मिला है।
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इस तरह कार्य करता है इंटीग्रेशन सिस्टम

इंटीग्रेशन होने से 181, सखी सेंटर, 112, 108 और महिला थानों में महिलाओं से संबंधित मामलों की पूरी जानकारी सभी के पास होती और किसी को भी इसके लिए केस नंबर या महिला की डिटेल जानकारी लेने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इंटीग्रेटेड सिस्टम में एक ही सॉफ्टवेयर पर सभी काम करते है और इनबाक्स में ही सारी जानकारी लिखी होती। अभी 181 और सखी इसी तरह के इंटीग्रेटेड सिस्टम पर कार्य कर रहा है। तीन साल पहले ही जिस तरह से सखी और महिला हेल्पलाइन ने इंटीग्रेशन सिस्टम पर कार्य शुरू किया था, उसी तरह 112, 108 और पुलिस थानों को भी महिला हेल्पलाइन और सखी के साथ जुडऩा था। इससे कम समय में ही महिला को पूरी मदद मिल जाती।
महिला हेल्पलाइन की प्रभारी मनीषा तिवारी दत्ता कहती हं कि अभी हो यह रहा है कि कोई महिला यदि पारिवारिक हिंसा का शिकार हुई है तो उस स्थिति में वो 181 महिला हेल्प लाइन पर कॉल करके मदद मांगती है, तो महिला हेल्प लाइन 112 को कॉल करती है फिर 112, 108 को कॉल करके सूचित करता है इस बीच यदि महिला हेल्पलाइन द्वारा 112 को 10 मिनट बाद महिला का अपडेट मांगा जाता है तो 112 के पास महिला का केस नंबर नहीं होता, यदि 112 केस नंबर दे या 181 से इंटीग्रेट होता तो सारा केस उनके सॉफ्टवेयर के इनबाक्स में दर्ज रहता, जिसे खोलकर 181 को उस महिला की सारी जानकारी मिल जाती, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब सारे नंबर इंटीग्रेटेड सिस्टम पर पर कार्य करें।
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वर्जन

1…..181 पर रिकार्ड होती है सारी जानकारी

किसी महिला द्वारा यदि 181 से मदद मांगी जाती है तो महिला हेल्पलाइन अपने सिस्टम में सारी जानकारी रिकार्ड कर लेती है और हर दस मिनट पर मामले को अपडेट करती है, इस सिस्टम के जरिए महिला हेल्प लाइन पूरे समय पीडि़ता के साथ रहती है, उसे हर स्तर पर मदद दिलाती है, लेकिन प्रदेश की ज्यादातर महिलाओं को आज भी पता नहीं है कि उनके साथ किस तरह का अपराध किया जा रहा है।
मनीषा तिवारी दत्ता, प्रबंधक महिला हेल्प लाइन 181

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2….. चरणबध्द तरीके से होना है इंटीग्रेशन

अभी डॉयल 112, महिला को सखी सेंटर पहुंचाता है तो वहां महिला का सारा केस दर्ज होता है, लेकिन थानों में आने वाले महिलाओं से जुड़े मामले 181 तक नहीं पहुंच रहे है। इसके लिए 112 कुछ कार्ययोजना तैयार भी कर रहा है। महिला बाल विकास विभाग भी इसके लिए योजना बना रहा है। 3 साल पहले सखी और 181 ने इंटीग्रेशन के साथ कार्य करना शुरू किया उसी तरह 112 और महिला थानों के साथ इंटीग्रेशन चरणबद्ध तरीके से होना है।
क्रिस्टीना लाल, जेडी महिला बाल विकास विभाग

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3….. इंटीग्रेशन की प्रक्रिया चल रही है

112 दो तरह से कार्य कर रहा है यदि किसी को इमरजेंसी होती है तो उसके लिए 112 की गाड़ी भेजी जाती है और देर रात किसी महिला को घर जाने में दिक्कत हो रही हो तो उसे घर भी छोड़ा जाता है। महिलाओं से जुड़ा मामला 112 के पास आता है तो फोन के जरिए 181 को जानकारी दी जाती है, अभी 181 के साथ हमारा कार्य मेन्युअली हो रहा है जल्द ही इंटीग्रेट हो जाएंगे, क्योंकि इंटीग्रेशन पर कार्य चल रहा है।
आर. के. विज, एडीजी

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