सच है कि भुलाए नहीं भूलेगी 2020 की टीस, कामयाबी और उत्साह से भरा हो 2021
13 जनवरी को लोहड़ी
संक्रांति पर्व से एक दिन पहले सिख समाज लोहड़ी उत्सव मनाएगा। अंधेरा होते ही आग जलाकर अग्निदेव की पूजा करते हैं और तिल, गुड़, चावल, और भुने हुए मक्के की आहूति देकर सुख-समृद्धि की कामना समाज के लोग करने के लिए गुरुद्वारों में एकत्रित होते हैं।
खुलेगी अय्यप्पा मंदिर की पवित्र सीढ़ियां
आंध्रा और केरला समाज के लोग मकर संक्रांति पर्व की जगह पोंगल पर्व के रूप में मनाते हैं। अनेक विविध कार्यक्रम आयोजित तीन से चार दिनों तक उत्सव मनाते हैं। पोंगल पर अय्यप्पा मंदिर की सभी पवित्र सीढ़ियां खुलती हैं। राजधानी के टाटीबंध स्थित मंदिर में पोंगल पर्व नजदीक आते ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं।
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कब-कब दो दिन पड़ी संक्रांति
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार ग्रहों की चाल की वजह से कई बार मकर संक्रांति का पर्व दो दिन मनाया गया। 2010 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश में दोपहर 12.36 बजे हुआ। 2011 में शाम 6.45 बजे, 2012 में रात 12.56 बजे, 2014 में दोपहर 1.11बजे, 2016 में रात 1.25 बजे, 2018 में दोपहर 1.47 बजे तथा 2019 में शाम 7.56 बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हुआ। इसलिए दो दिन मनाई गई।