संभाग के 7 जिलों में पिछले साल मलेरिया (Malaria free bastar) के 4,230 मामले सामने आए थे, इस साल सिर्फ 1458 मामले। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अंतर्गत इस वर्ष जनवरी-फरवरी में इसका पहला चरण और जून-जुलाई में दूसरा चरण चलाया गया। इस अभियान के तहत दोनों चरणों में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के पहुंच विहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर प्रत्येक व्यक्ति की मलेरिया जांच की गई है।
दो चरणों में मिले मरीज पहले चरण में 14 लाख 6 हजार लोगों की मलेरिया जांच पॉजिटिव पाए गए 64 हजार 646 लोगों का पूर्ण उपचार दूसरे चरण में 23 लाख 75 हजार लोगों की जांच
मलेरिया पीडि़त 30 हजार 076 मरीजों को इलाज पिछले साल मलेरिया के 4,230, इस साल सिर्फ 1458 मामले जिलेवार मलेरिया के मरीज-
जिला- प्रतिशत कांकेर- 75.2
कोंडागांव- 73.1 सुकमा- 71.9
बीजापुर- 71.3 नारायणपुर- 57
बस्तर- 54.7
जिला- प्रतिशत कांकेर- 75.2
कोंडागांव- 73.1 सुकमा- 71.9
बीजापुर- 71.3 नारायणपुर- 57
बस्तर- 54.7
दंतेवाड़ा- 54 60 प्रतिशत लोग बिना लक्षण वाले, जैसे कोरोना में पाया जा रहा
अभियान के दौरान बस्तर संभाग में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिनमें मलेरिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे। अलाक्षणिक मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का कारण बनता हैं। पहले चरण में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए 57 प्रतिशत और दूसरे चरण में 60 प्रतिशत लोग बिना लक्षण वाले थे। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान मलेरिया के साथ ही एनीमिया और कुपोषण दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अभियान के दौरान बस्तर संभाग में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिनमें मलेरिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे। अलाक्षणिक मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का कारण बनता हैं। पहले चरण में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए 57 प्रतिशत और दूसरे चरण में 60 प्रतिशत लोग बिना लक्षण वाले थे। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान मलेरिया के साथ ही एनीमिया और कुपोषण दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।