शंकर का शव आंबेडकर अस्पताल की कोविड मर्चुरी में ले-जाकर रख दिया गया। मर्चुरी के बाहर बुजुर्ग महिला चीख-चीखकर रोए जा रही थी। मर्चुरी में पदस्थ डॉ. एस. मांझी ने उससे बातचीत की। रोते हुए उसने बताया कि वह कुकरा गांव की रहने वाली है। डॉ. मांझी काम पूरा कर, वृद्धा को लेकर गांव पहुंचे, मगर यहां जवाब मिला, जब तक कोरोना रिपोर्ट नहीं आती, शव गांव में नहीं आएगा। सरपंच व सरपंच पति ने कह दिया, आगे आप देख लो।
‘पत्रिका’ टीम डॉ. मांझी तक पहुंची। उनसे बात की। उन्होंने कहा कि जब सरपंच नहीं मानें तो मैं थाना मंदिर हसौद गया। संयुक्त कलेक्टर राजीव पांडेय से बात की। उसके बाद एसडीएम और तहसीलदार का फोन आया। इन अफसरों ने सरपंच, जनपद सदस्य और अन्य लोगों को फोन किया। तब सब आंबेडकर अस्पताल पहुंचे। जब इन्हें कोरोना टेस्ट रिपोर्ट मिली, जो निगेटिव थी उसके बाद वे शव ले गए। सरपंच पति चंद्रशेखर साहू का कहना है कि बीमारी के बारे में आप तो जानते ही हैं। डर तो लगता ही है। मगर, हम सब ने मिलकर अंतिम संस्कार कर दिया है।
अंतिम संस्कार का प्रोटोकॉल
अस्पताल में अगर कोई कोरोना संदिग्ध व्यक्ति की मौत होती है तो उसका मरने के बाद सैंपल लिया जाता है। अगर, वह संक्रमित पाया जाता है तो अंतिम संस्कार प्रशासन की मौजूदगी में होता है। प्रदेश में २० शवों से सैंपल लिए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। सैंपल इसलिए लिए जाते हैं, अगर मृतक संक्रमित रहा हो तो उनके परिजनों को होने वाले संक्रमण के खतरे से बचाया जा सके।
अस्पताल में अगर कोई कोरोना संदिग्ध व्यक्ति की मौत होती है तो उसका मरने के बाद सैंपल लिया जाता है। अगर, वह संक्रमित पाया जाता है तो अंतिम संस्कार प्रशासन की मौजूदगी में होता है। प्रदेश में २० शवों से सैंपल लिए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। सैंपल इसलिए लिए जाते हैं, अगर मृतक संक्रमित रहा हो तो उनके परिजनों को होने वाले संक्रमण के खतरे से बचाया जा सके।
कोरोना काल में डॉक्टरों के कई रूप
आंबेडकर अस्पताल की मर्चुरी में पदस्थ डॉ. एस. मांझी तो एक उदाहरण हैं। जिन्होंने अपनी मूल ड्यूटी के अतिरिक्त एक सकारात्मक पहल की, बगैर किसी डर-भय के। ऐसे कई डॉक्टर हैं जो कोरोना काल में अपने प्रोफेशन से आगे निकलकर सेवा दे रहे हैं। लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं।
आंबेडकर अस्पताल की मर्चुरी में पदस्थ डॉ. एस. मांझी तो एक उदाहरण हैं। जिन्होंने अपनी मूल ड्यूटी के अतिरिक्त एक सकारात्मक पहल की, बगैर किसी डर-भय के। ऐसे कई डॉक्टर हैं जो कोरोना काल में अपने प्रोफेशन से आगे निकलकर सेवा दे रहे हैं। लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं।
मैंने सरपंच और जनपद सदस्य से बात की थी। उन्होंने कहा था कि वे कफन-दफन करेंगे। इसमें कोरोना जैसी की कोई बात नहीं है। जिसका कोई नहीं है, फिर तो पुलिस तो है ही।
सोनल वाला, थाना प्रभारी, मंदिर हसौद
सोनल वाला, थाना प्रभारी, मंदिर हसौद