जंगल सफारी से दो पहिया वाहन पार्किंग शुल्क 20 रुपए तथा चार पहिया वाहन का 50 रुपए है। लेकिन पार्किंग में बैठे कर्मचारी वाहन चालकों के अंदर जाने से पहले पर्ची थमाकर पैसा ले लेने के बाद जब वापस आते हैं, तो पर्ची को वापस मांगकर उसी पर्ची में पहले वाहन का नम्बर काटकर नये वाहन का नम्बर डालकर दूसरे पर्यटक को दे देते हैं। अगर कोई पर्यटक दो नम्बर का पर्ची देख लेता है, तो उससे गलती से चला गया कहकर मांफी मागकर नई पर्ची देते हैं। इस तरह से रोजाना सैंकड़ों वाहनों से वसूली की जाती है, जिसका टैक्स शासन को नहीं जाता है। अवैध कमाई का पूरा पैसा पार्किग कर्मी की जेब में जाता है।
अधिकतर वाहनों से इसी तरह वसूली
जंगल सफारी में पार्किंग लगभग पांच एकड़ में फैला है। यहां रोजाना औसतन दो पहिया 60 और चार पहिया वाहन 30 से 40 पार्क होते हैं। अवकाश के दिनों में 200 से 300 तक वाहन पार्क होते हैं। हर महीने में पार्किंग से जंगल सफारी प्रबंधन को औसतन एक से डेढ़ लाख रुपए की कमाई होती है। इस्तेमाल की गई पर्ची के दोबारा उपयोग से हुई कमाई इससे भी कहीं ज्यादा है, जो कि पार्र्किंग कर्मियों की जेब में जाता है।
जंगल सफारी के पार्किंग प्रभारी (वन रक्षक) संतोष कोसरे ने कहा, पार्किंग में कोई अवैध वसूली नहीं होती है। आज पार्किंग कर्मचारी से गलती से दो नम्बर डाल दिया था। उसे सुधार लिया गया है। अगर ऐसा रोजना होता है, तो इसकी जांच करेंगे।